रफीक खान
वक्फ कानून को लेकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय यानी कि सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित किया गया। जिसके तहत तमाम तरह की नियुक्तियों पर रोक लगाई गई है। वहीं केंद्र सरकार से 7 दिन में जवाब तलब किया गया है। आपत्तियों के बड़े पुलिंदे के बीच पांच मुख्य आपत्तियों पर फोकस करने का निर्णय लिया गया है। दूसरे दिन करीब 1 घंटे तक सुनवाई चली और अब अगली सुनवाई के लिए 5 मई के दोपहर 2:00 बजे का समय मुकर्रर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह भी हिदायत दी है कि 70 याचिकाओं की जगह सिर्फ पांच याचिकाएं ही दायर की जाए, उन्हीं पर सुनवाई की जाएगी। SC's interim order on Wakf Act, asked Central Government to respond in 7 days, ban on appointments, next hearing on 5 May
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि '110 से 120 फाइलें पढ़ना संभव नहीं हैं। ऐसे में ऐसे 5 पॉइंट तय करने होंगे। सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई होगी। सभी याचिकाकर्ता मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएं। नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय करें।' CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह वह केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलीलें रख रहे हैं। सुनवाई के दौरान एसजी मेहता ने कहा कि प्रतिवादी 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि अगली सुनवाई से केवल 5 रिट याचिकाकर्ता ही न्यायालय में उपस्थित होंगे। हम यहाँ केवल 5 चाहते हैं। आप 5 का चयन करें। अन्य को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा। हम नाम का उल्लेख नहीं करेंगे। CJI: मैंने कहा है कि उपयोगकर्ता द्वारा घोषित या पंजीकृत वक्फ भी वक्फ है। इस बात पर सहमति है कि पक्षकार उन याचिकाओं की पहचान करेंगे जिन्हें लीड केस माना जाएगा। लीड मामलों में अन्य याचिकाओं को आवेदन के रूप में माना जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि 1995 के वक्फ अधिनियम और 2013 में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को इस सूची से अलग से दिखाया जाएगा। 2025 के मामले में रिट दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को विशेष मामले के रूप में जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता है।
यह है चुनौती के तीन अहम बिंदु
A. कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार), और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
B. वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का फैसला करने का अधिकार देना सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाता है।
C. यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों पर समान प्रतिबंध नहीं हैं।