हंसता-बोलता "चाय वाला बबलू कुरैशी" अचानक चला गया, सुनने वाला हर कोई हैरत में - khabarupdateindia

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हंसता-बोलता "चाय वाला बबलू कुरैशी" अचानक चला गया, सुनने वाला हर कोई हैरत में


रफीक खान
हमेशा लोगों से हंसकर बोलना, खिलखिलाना, मजाक करना और फिर उसके किसी भी तरह के सहयोग के लिए तत्पर रहना... कुछ ऐसी ही विशेषताएं थी बबलू कुरैशी में। हां यह वही बबलू कुरैशी है, जो मंडी मदार टेकरी के मुख्य मार्ग पर चाय की दुकान चलाता था। बबलू कुरैशी की जान पहचान जिस किसी भी शख्स से होती थी, वह उसे बहुत नजदीक से जानने लगता था। बबलू कुरैशी अब हमारे बीच नहीं रहा। वह इस दुनिया को छोड़कर चला गया। दुनिया से रुखसती की ये खबर जिस किसी ने भी सुनी, वह हैरत में आ गया। The laughing and talking "Chai Wala Bablu Qureshi" suddenly left, everyone who heard him was shocked

राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित मंडी मदार टेकरी क्षेत्र मुख्यतः मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। एक समय था, जब यहां मीडिया की भी पहुंच नहीं हो पाती थी। उस समय बबलू कुरैशी की होटल मीडिया के लिए एक ऐसा जरिया होता था, जहां से आसपास की जानकारी जुटाई जा सकती थी। एक समय था, जब न तो सोशल मीडिया का चलन था और ना ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का। सिर्फ और सिर्फ प्रिंट मीडिया का बोलबाला था। तब बबलू कुरैशी के पिता सईद फारुकी शाम ढलने के पहले चाय की होटल पर जा बैठते थे और फिर वहां जागरूक लोग चर्चा के लिए एकत्रित होते रहते थे। इनमें इक्का-दुक्का लोग मीडिया से ताल्लुक रखने वाले भी पहुंच जाते थे। बबलू कुरैशी की चाय की दुकान मीडिया वालों के लिए किसी भी घटना, दुर्घटना या अवसर विशेष के दौरान अड्डा बन गई थी। यहीं से बबलू कुरैशी की जान पहचान का दौर शुरू हुआ और वह कांग्रेस नेता से लेकर सामाजिक और चौतरफा बढ़ता ही चला गया। 
समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपने नाम और फोटो का शौक उसे हर पत्रकार के नजदीक खींचता चला गया। 1971 में पैदा हुए मोहम्मद शमशाद उर्फ़ बबलू कुरैशी लंबे समय तक संघर्षमय जीवन व्यतीत करते रहे। बबलू कुरैशी अपने 7 भाइयों में पांचवें नंबर के थे। बबलू के 4 बच्चे मोहम्मद दानिश, मोहम्मद मोहसिन और शहजादे कुरैशी भी उनके कारोबार में भरपूर सहयोग करते चले आए हैं। बबलू कुरैशी के बड़े भाई नौशाद उर्फ चांद कुरैशी का कहना है कि दो माह पहले ही बबलू कुरैशी को शुगर की शिकायत सामने आई थी लेकिन तबीयत हमेशा ठीक रहती थी। गुरुवार तथा शुक्रवार की दर्मयानी रात सहरी के वक्त के पहले अचानक घबराहट हुई और वह चक्कर खाकर गिर पड़े। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बबलू कुरैशी को मंडी मदार टेकरी कब्रिस्तान में जुम्मे की नमाज के बाद सुपुर्दे खाक किया गया।