रफीक खान
मध्य प्रदेश में स्पा सेंटर्स के संचालन पर जब तक उंगली उठती रही है। जबलपुर में खासतौर से शिकायतें भी की गई लेकिन पुलिस ने सिवाय औपचारिक कार्रवाई के कुछ नहीं किया। अब जबकि एक महिला कर्मचारी ने खुद ही स्पा सेंटर्स की करतूत को उजागर करते हुए कहा कि वहां महिला कर्मचारियों पर कस्टमर को सेटिस्फाई करने का दबाव है। निश्चित तौर पर किसी महिला कर्मचारी का यह बयान कानून व्यवस्था पर एक करारा तमाचा है। Misdeeds of MP's "spa centers", pressure on female employees to "satisfy" customers, slap on law and order
मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में मसाज की आड़ में देह व्यापार का खुलासा करते हुए एक युवती ने आरोप लगाया कि स्पा सेंटर के संचालक ने उसे बिना वेतन दिए भगाया और मसाज की आड़ में देह व्यापार करने का दबाव बनाया। जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि रायल स्पा सेंटर के संचालक ने बिना वेतन दिए भगाया तो युवती ने सभी स्पा सेंटरों का काला चिठ्ठा खोलकर रख दिया। उसने आरोप लगाया कि ज्यादातर स्पा सेंटरों में मसाज की आड़ में देह व्यापार हो रहा है। युवती ने ओमती थाने में पहुंचकर जब आरोप लगाए तो तुरंत रेल पुल नंबर चार के पास संचालित रायल स्पा सेंटर की जांच शुरू कर दी गई। असम की रहने वाली 30 वर्षीय युवती चौथा पुल स्थित एक स्पा सेंटर में काम करती थी। उसने 10 दिन पूर्व ही वहां नौकरी करनी शुरू की थी। संचालक ने उसे 20 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देने का बोला था, लेकिन एक सप्ताह बाद ही उसका काम संतोषजनक नहीं होना बोलकर नौकरी से निकाल दिया। उसने जितने दिन काम किया, उसका भी पारिश्रमिक नहीं दिया गया। युवती का आरोप है कि संचालक पहले अधिक वेतन देने का लालच देते हैं। फिर अनैतिक कार्य के लिए दबाव बनाते हैं। उनकी बात नहीं मानने पर नौकरी से निकाल देते हैं। संचालक के दबाव और मजबूरी में कई युवतियां गलत काम करने लग जाती हैं। युवती ने आरोप लगाते हुए कई स्पा सेंटर के नाम गिनाए। इनमें मसाज की आड़ में देह व्यापार होना बताया। उसने आरोप लगाया कि स्पा सेंटरों के बाहर हाई रेज्यूलेशन वाले सीसीटीवी कैमरे लगे होते है। पुलिस या किसी संदिग्ध को दूर से आता देखकर सेंटर की लड़कियों को इधर-उधर कर दिया जाता है। इसलिए पुलिस जब भी पहुंचती है तो उन्हें वहां गड़बड़ समझ नहीं आती है। युवती का यह बयान पुलिस भले ही जांच में सिर्फ वेतन का मुद्दा मान ले लेकिन दाल में काला होने से कतई इंकार नहीं किया जा सकता और जिम्मेदारों का फर्ज है कि वैसे बेनकाब करें।