MP हाईकोर्ट ने पूछा- किस कानून में लिखा CM के प्रोग्राम के लिए बसों में डीजल निगम आयुक्त भरवाएंगे? - khabarupdateindia

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MP हाईकोर्ट ने पूछा- किस कानून में लिखा CM के प्रोग्राम के लिए बसों में डीजल निगम आयुक्त भरवाएंगे?


रफीक खान
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए सवाल किया है कि आखिर किस कानून में यह बात लिखी है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों के लिए निगमायुक्त बसों में डीजल डलवाएंगे। यह तीखा सवाल करते हुए कलेक्टर जबलपुर को जिम्मेदारी दी है कि वह बताएं कि आखिर वास्तविकता क्या है? कलेक्टर से शपथ पत्र पर अपना जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। MP High Court asked- In which law is it written that the Corporation Commissioner will fill the buses with diesel for the CM's program?

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सवाल किया है कि किस कानून में यह प्रावधान है कि मुख्यमंत्री के सम्मानार्थ आयोजित कार्यक्रम के लिए निगमायुक्त बसों में डीजल भरवाएं। याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी सुगम चंद्र जैन की ओर से आरोप लगाया गया है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए अधिग्रहित की गई बसों में भरे गए डीजल का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष रावत ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आइएसबीटी बस स्टैंड के समीप याचिकाकर्ता का पेट्रोल पंप है। मुख्यमंत्री के सम्मान में तीन जनवरी, 2024 को जबलपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।कार्यक्रम के लिए अधिग्रहित बसों में डीजल भरने के लिए नगर निगम आयुक्त ने खाद्य अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से भेजा था। अधिग्रहित बसों में लगभग छह लाख रुपये का डीजल उनके पेट्रोल पंप से भरा गया था। डीजल का भुगतान न होने के कारण उन्होंने निगमायुक्त से संपर्क किया। निगमायुक्त द्वारा बताया गया कि संयुक्त कलेक्टर व जिला आपूर्ति अधिकारी के कार्यालय की ओर से बसों में डीजल भरवाने कहा गया था। याचिकाकर्ता ने अगस्त, 2024 को बिल भुगतान के लिए संयुक्त कलेक्टर व जिला आपूर्ति अधिकारी व निगमायुक्त से संपर्क किया। इसके बाद कलेक्टर कार्यालय से निगमायुक्त को राशि भुगतान करने के संबंध में लिखित निर्देश दिए गए थे। याचिकाकर्ता से पूछा गया कि अधिग्रहित बस में डीजल भरने के लिए प्रशासन की ओर से पीओएल जारी किया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सिर्फ मौखिक आदेश जारी किए गए थे। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता अब याचिका वापस लेने का हकदार नहीं होगा। हाई कोर्ट के उक्त निर्देश के बाद यह संभावनाएं भी खत्म हो गई हैं कि अब याचिकाकर्ता सरकार के सामने सरेंडर हो पाएगा।