"असहाय कलेक्टर": HC ने कहा- सरकार को विचार करना चाहिए कि इन IAS को फील्ड पर रखें या नहीं - khabarupdateindia

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"असहाय कलेक्टर": HC ने कहा- सरकार को विचार करना चाहिए कि इन IAS को फील्ड पर रखें या नहीं


रफीक खान
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में बतौर कलेक्टर पदस्थ आईएएस अधिकारी संजीव श्रीवास्तव की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भिंड कलेक्टर अगर इस तरह से खुद को असहाय बताएंगे और पीडब्ल्यूडी के खिलाफ आरआरसी को निष्पादित करने तक में सक्षम नहीं होंगे तो फिर राज्य सरकार को सोचने का समय है कि वह ऐसे आईएएस अधिकारी को फील्ड पर तैनात करें या नहीं। कलेक्टर ने जो स्पष्टीकरण दिया है, वह बेहद चौंकाने वाला है। हाई कोर्ट ने कहा है कि कलेक्टर ने कोर्ट की एक और अवमानना की है, प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को निर्देशित किया गया है कि इसलिए संजीव श्रीवास्तव के खिलाफ एक और अवमानना अलग से दर्ज की जाए। इसके लिए है। हाईकोर्ट की इस तल्ख टिप्पणी से न सिर्फ प्रशासनिक हल्कों में बल्कि सरकार स्तर पर भी एक नई चिंता सामने आ गई है। क्योंकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह रवैया न सिर्फ भिंड जिले के कलेक्टर अकेले का है बल्कि ऐसे कई और भी जिले हैं। "Helpless Collectors": HC said- Government should consider whether to keep them on the field or not

जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि शिव पार्वती श्रीवास्तव पीडब्ल्यूडी में दैनिक वेतन भोगी पद पर कार्यरत थीं। उनका विभाग में नियमितिकरण किया गया। श्रम न्यायालय ने 12.10 लाख रुपए एरियर्स देने का आदेश दिया। विभाग ने एरियर्स का भुगतान नहीं किया तो शिवपार्वती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने राशि का भुगतान करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं किया तो शिव पार्वती ने अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने आदेश का पालन नहीं होने पर भिंड कलेक्टर को तलब किया। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव न्यायालय में उपस्थित हुए। उन्होंने शब्दों से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की। कलेक्टर ने कहा कि भिंड में पीडब्ल्यूडी की संपत्ति नहीं है। इसलिए कुर्क नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने सवाल किया कि ऑफिस कहां पर संचालित है। कलेक्टर ने कहा कि उस भवन पर शासन लिखा हुआ है। हाई कोर्ट ने कहा कि कोई विभाग संपत्ति का मालिक नहीं होता है, उस पर मध्य प्रदेश शासन लिखा रहता है। कलेक्टर ऑफिस पर भी मध्य प्रदेश शासन लिखा जाता है। संपत्ति का मालिक कलेक्टर नहीं होता है। कोर्ट के इन सवालों को सुनने के बाद कलेक्टर फंस गए और उन्होंने कहा कि दो दिन में संपत्ति कुर्क करके रिपोर्ट पेश करेंगे। कलेक्टर ने आदेश का पालन करने के लिए दो दिन का समय लिया। भिंड कलेक्टर ने खुद आदेश का पालन के लिए दो दिन का समय मांगा। दो दिन बाद कलेक्टर फिर से उपस्थित हुए तो उन्होंने पीडब्ल्यूडी के ऑफिस को कुर्क किए फैसले में हाईकोर्ट के आदेश का उल्लेख किया।हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोर्ट किसी की संपत्ति को कुर्क करने में रुचि नहीं रखता है। न्यायालय केवल आरआरसी निष्पादन चाहता है। डेढ़ वर्ष का समय बीत चुका था। भिंड कलेक्टर इस मामले को दबाए बैठे हुए थे। बावजूद इसके न्यायालय को गुमराह करने की हद पार कर दी। कलेक्टर द्वारा हाई कोर्ट को रेखांकित कर यह स्पष्ट किया है कि वह स्वयं कुछ भी करना नहीं चाहते हैं।