रफीक खान
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिला अनूपपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक जमींदार ने भूमिहीन बनकर सरकारी जमीन आवंटित करवा ली। इतना ही नहीं उस पर भारत पेट्रोलियम कंपनी लिमिटेड BPCL का पेट्रोल-डीजल पंप भी अलॉट करवा लिया। धड़ल्ले से वह पंप चला रहा था, इसी बीच समाजसेवियों को इस फर्जीवाड़े की जानकारी लगी और उन्होंने इसकी शिकायत प्रशासन से कर डाली। प्रशासन ने शिकायत को सही पाया और उसका सरकारी जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया। पेट्रोल पंप मालिक न्यायालय पहुंचा लेकिन वहां से भी उसे शिकस्त दर शिकस्त मिलती गई। अब प्रशासन ने उक्त भूमि को सरकारी जमीन के रूप में रिकॉर्ड में दुरुस्त कर दिया है। जल्द ही यहां बुलडोजर चलाने की तैयारी चल रही है। Government land captured after becoming landless, BPCL petrol pump declared illegal, bulldozer will run soon
इस संबंध में शिकायतकर्ता समाजसेवी राहुल अग्रवाल ने बताया कि चंद्रमा सिंह नाम का व्यक्ति भू माफिया है। वह लगातार आदिवासी बहुल जिले में आदिवासियों और सरकारी जमीनों को कब्जाने का काम करता चला आ रहा है। अनेक मामलों में उस पर सरकार निरस्तीकरण की कार्रवाई कर चुकी है। मामलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज न होने के कारण वह लगातार इस तरह के कारनामों को अंजाम देता आ रहा है। वर्ष 2015 में उसने भूमि स्वामी होने के बावजूद खुद को भूमिहीन बताया और सरकार से जमीन आवंटित करवा ली। इसके बाद उस भूमि पर भारत पेट्रोलियम कंपनी लिमिटेड का पंप भी खोल लिया। शिकायतकर्ता संग्राम सिंह और राहुल अग्रवाल के अनुसार जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत बदरा क्षेत्र के जमुना गेट से कुसियरा फाटक रोड पर चंद्रमा सिंह द्वारा पेट्रोल पंप संचालित किया जा रहा था। मप्र शासन की भूमि पर संचालित पेट्रोल पंप को बन्द कराने की मांग को लेकर स्थानीय लोगो ने शिकायते की थी। जिला प्रशासन ने तमाम सरकारी रिकॉर्ड के अवलोकन और जांच पड़ताल के बाद पाया कि चंद्रमा सिंह भूमिहीन नहीं है, बल्कि उसकी जिले में कई जमीन है। इसके बाद जिला प्रशासन द्वारा उक्त भूमि का आवंटन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद जिला प्रशासन द्वारा किए गए आदेश को चुनौती देते हुए चंद्रमा सिंह द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई। प्रथम अपील खारिज होने के बाद सेकंड अपील भी हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल द्वारा इस आधार पर खारिज कर दी गयी कि चंद्रमा सिंह ने भूमि स्वामी होते हुए भूमिहीन बनकर 5.67 एकड़ मप्र शासन की भूमि का आवंटन अपने पक्ष में लिया था। आरोप है कि इस तरह से फर्जीबड़ा कर करोड़ों रुपए की कमाई चंद्रमा सिंह द्वारा की गई है। वर्ष 2020 से मामला विचाराधीन था। जो 30/01/2025 को उच्च न्यायालय ने चंद्रमा सिंह की अपील खारिज कर दी है। इस प्रकरण में केविएट वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय दीपक पांडे द्वारा लगाई गई थी और अंतिम बहस वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय जबलपुर जितेश श्रीवास्तव द्वारा की गई। समाजसेवी संग्राम सिंह और राहुल अग्रवाल द्वारा हाई कोर्ट के आदेश की कॉपियां जिला कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक प्रस्तुत कर दी गई है। जिला प्रशासन द्वारा भारत पेट्रोलियम कंपनी लिमिटेड को भी चंद्रमा सिंह की करतूत से अवगत करा दिया गया है। अब इंतजार हो रहा है कि सरकारी जमीन को गलत तरीके से हथियाने वाले चंद्रमा सिंह को वहां से कब खदेड़ा जाएगा?