रफीक खान
मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में अदानी ग्रुप के वाहन से हुई दो युवकों की मौत के बाद गांव वालों के गुस्से ने वहां आगजनी की घटना करते हुए बवाल खड़ा कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स में एक प्रशासनिक अधिकारी के हवाले से कहा जा रहा है कि दरअसल ना तो अदानी ग्रुप गांव वालों की सुनता है और ना ही प्रशासन की। यहां कानून व्यवस्था को हर समय चुनौती बनी हुई है। इस घटना से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर अदानी ग्रुप प्रशासन की क्यों नहीं सुनता? वैसे तो जग जाहिर है कि अदानी ग्रुप का जो बोलबाला सत्तारूढ़ दल और सरकार पर बना हुआ है, वह किसी से छुपा नहीं है। चिंता इस बात की होना चाहिए कि जो एनर्जी प्लांट अदानी ग्रुप संचालित कर रहा है, वह किसी दिन बड़े हादसे का शिकार ना हो जाए। एनर्जी प्लांट के निर्माण और स्थापना के दौरान जो भी शर्तें तय हुई थी, उनको पूरा कराना सरकार की जिम्मेदारी है। "Arson": Why doesn't "Adani Group" even listen to the administration? Villagers' anger erupted due to two deaths, dozens of vehicles burnt
उल्लेखनीय है कि ग्रामीणों ने अडानी ग्रुप की कुछ बसों और ट्रैकों में तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी थी। जिन बसों में आग लगाई गई, वो कर्मचारियों को लेकर वापस लौट रही थीं, अगर इन बसों में से कर्मचारियों को नहीं उतरते मिलता तो क्या होता? घटना के बाद इलाके में भारी तनाव का माहौल है और सिंगरौली जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारी और थानों का पुलिसबल घटनास्थल पर डटा हुआ है। शुक्रवार की शाम अडानी ग्रुप में कोयले के परिवहन में लगे एक हाइवा ने माड़ा थाना इलाके की बंधौरा चौकी अंतर्गत अमिलिया घाट पर बाइक सवार दो ग्रामीणों को टक्कर मार दी थी, जिससे रामसागर प्रजापति और राम लाल यादव की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने जमकर बवाल किया। गाड़ाखाड़ बाजार में अडानी कंपनी की पांच शिफ्ट बसों के साथ ही दो हाइवा वाहनों को आग के हवाले कर दिया, जिससे वाहन जलकर खाक हो गए। ऐसा कहा जा रहा है कि इलाके में स्थापित हुए अदानी ग्रुप के महान एनर्जी प्लांट से ग्रामीण बेहद नाराज है। उनका आरोप है की जमीन लेने और इस प्लांट को स्थापित करने के समय जो जो वायदे किए गए थे, वह एक भी पूरा नहीं किया गया। प्रशासन और सरकार के नुमाइंदे अदानी ग्रुप के सामने पूरी तरह लाचार बने हुए हैं।