ED लेगी सौरभ की रिमांड, तेरा नहीं-तेरा नहीं, उसका भी नहीं तो फिर किसका है 52Kg सोना और करोड़ों रुपया कैश? - khabarupdateindia

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ED लेगी सौरभ की रिमांड, तेरा नहीं-तेरा नहीं, उसका भी नहीं तो फिर किसका है 52Kg सोना और करोड़ों रुपया कैश?


रफीक खान
मध्य प्रदेश शासन के परिवहन विभाग में 7 साल तक आरक्षक के पद पर नौकरी करने वाला सौरभ शर्मा आखिरकार चूहा बिल्ली के खेल में लोकायुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आया तो वह कोर्ट में सरेंडर होने के लिए था लेकिन लोकायुक्त पुलिस उसके लिए घात लगाकर बैठी थी। लोकायुक्त पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई अब तक की पूछताछ में वह कुल मिलाकर गोल-मोल जवाब दे रहा है। कोर्ट में भी उसने दावा किया है कि यह 52 किलो सोना और करोड़ों रुपए कैश उसका नहीं है। सवाल यह है कि सौरभ शर्मा का सोना नहीं है, चेतन गौर का भी सोना नहीं है, रोहित तिवारी का भी सोना नहीं है तो फिर है किसका? इस मामले में जैसे ही लोकायुक्त पुलिस की रिमांड 4 फरवरी को खत्म होगी तो न्यायालय में आवेदन देकर प्रवर्तन निदेशालय ED की टीम और आयकर विभाग के अधिकारी भी रिमांड लेकर पूछताछ करेंगे। ED will take remand, not yours - not yours, not even his, then whose is 52Kg of gold and crores of rupees in cash?

उल्लेखनीय है कि सौरभ 40 से ज्यादा दिन बाद जांच एजेंसियों की गिरफ्तार में आया है। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसने चौंकाने वाला दावा किया। सौरभ शर्मा ने कोर्ट में कहा कि 52 किलो सोना और गाड़ी में मिले 11 करोड़ रुपये उसके नहीं है। बाकी की जो प्रॉपर्टी और कैश मिला है, उसका पूरा हिसाब उसके पास है। सौरभ शर्मा का कोर्ट मैं किया गया यह दावा कई सवाल खड़े कर रहा है। जब यह सोना और नगद करोड़ों रुपया उसका नहीं है तो आखिर है किसका? उसके पास आया कहां से? किसने दिया और इसके पीछे और क्या-क्या राज है? चेक पोस्ट की रसीद उसके घर कैसे पहुंची? कितने चेक पोस्ट से पैसे कलेक्ट करता था? पूरे नेटवर्क में कौन-कौन लोग शामिल थे? चेकपोस्ट का कितना पैसा किसको जाता था? सौरभ के वकील ने कोर्ट में कहा कि सौरभ तो सिर्फ मोहरा है। जिन लोगों को नाम सामने आने का डर उनसे सौरभ को जान का खतरा है। आरोपी का कोर्ट में पेश हो जाने के बाद पुलिस रिमांड पर जाना यानी कि पुलिस अभिरक्षा में उसकी सारी सुरक्षा का जिम्मा कानूनन तय है। फिर बार-बार उसकी जान का खतरा क्यों बताया जा रहा है? सरकार को भी चाहिए कि उसकी जो जांच एजेंसियां इस काम में लगी हुई है, वह कोर्ट के सामने प्रस्तुत होकर उसकी पर्याप्त सुरक्षा देने की अंडरटेकिंग दे दे। सौरभ शर्मा के साथी चेतन गौर और शरद जायसवाल भी हिरासत में है।