छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम् फैसला सुनाते हुए यह कहा कि मर्डर के बाद मृतका के शव साथ किया गया बलात्कार अपराध की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। इस आधार छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस विभु दत्ता गुरु की पीठ ने अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत बलात्कार नहीं माना और इस तरह आरोपी को बरी कर दिया गया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यद्यपि शव के साथ बलात्कार सबसे जघन्य अपराधों में से एक माना जा सकता है लेकिन यह भारतीय दंड विधान और पोक्सो अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत नहीं है। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह प्रावधान केवल तभी लागू हो सकते हैं, जब पीड़िता जीवित हो। पीड़िता फ़ौत गई है तो अपराध नहीं माना जा सकता। Raping the dead body of a deceased after murder is not a crime, High Court acquitted the accused
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश द्वारा किया गया अपराध यानी शव के साथ बलात्कार सबसे जघन्य अपराधों में से एक है, लेकिन मामले का तथ्य यह है कि आज की तारीख में, उक्त आरोपी को आईपीसी की धारा 363, 376 (3), पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 6 और 1989 के अधिनियम की धारा 3(2)(v) के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि बलात्कार का अपराध शव के साथ किया गया था और उपरोक्त धाराओं के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने के लिए पीड़िता को जीवित होना चाहिए।कोर्ट ने एक नाबालिग पीड़िता के अपहरण, बलात्कार और हत्या से जुड़े मामले में आरोपी दो लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसका उसकी मृत्यु के बाद भी यौन शोषण किया गया था। दो आरोपियों नितिन यादव और नीलकंठ नागेश को आईपीसी और पोक्सो अधिनियम के तहत अलग-अलग अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।