मौत के मुंह से जिंदा लौटी डेढ़ साल की बेटी, बोरवेल में गिरे 10 साल के बेटे को नहीं बचाया जा सका - khabarupdateindia

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मौत के मुंह से जिंदा लौटी डेढ़ साल की बेटी, बोरवेल में गिरे 10 साल के बेटे को नहीं बचाया जा सका


रफीक खान
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और गुना में घटित दो अलग-अलग घटनाओं ने साबित कर दिया है कि "जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई" और जिसकी मृत्यु निश्चित हो चुकी है, उसे लाख प्रयासों के बावजूद नहीं बचाया जा सकता। चलती ट्रेन से गिरकर एक डेढ़ साल की बेटी जिंदा बच गई और बोरवेल में गिरा 10 साल का मासूम बेटा लाख प्रयासों के बावजूद भी बचाया नहीं जा सका। One and half year old daughter returned alive from the jaws of death, 10 year old son who fell in the borewell could not be saved

जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि सिवनी में 18 महीने की एक बच्ची अंशिका (गुनगुन) चलती ट्रेन से नीचे गिर गई, बच्ची अपनी मां और मामा के साथ शहडोल-नागपुर एक्सप्रेस (11202) में सफर कर रही थी और सिवनी स्टेशन पार होने बाद ट्रेन से गिर गई थी। बच्ची के परिजन कटनी स्टेशन से ट्रेन में चढ़े थे। मां और मामा को छिंदवाड़ा पहुंचने के बाद बच्ची के ट्रेन से नीचे गिरने की जानकारी मिली। कहा जाता है कि जब बच्ची के मामा वाशरूम गए थे तब अंशिका उनके पीछे-पीछे वाशरूम तक आ गई थी। इस बात की खबर मां और मामा दोनों को नहीं थी। अंशिका के मामा जब वाशरूम से बाहर आए तो, उन्हें अंशिका कहीं नहीं दिखी। अंशिका की मां और मामा ने उसे बहुत ढूंढ़ा, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चला। ट्रेन जैसे ही छिंदवाड़ा पहुंची वैसे ही बच्ची के मामा ने इसकी शिकायत आरपीएफ को की। आरपीएफ महिला आरक्षक ज्योति विश्वकर्मा को बच्ची रेसुब बाहरी चौकी के पास मिली। उन्होंने बताया बच्ची को कुछ मामूली चोटें आई हैं, लेकिन बच्ची पूरी तरह ठीक है। वहीं गुना जिले की राघवगढ़ तहसील में 10 साल का सुमित मीणा नाम का बच्चा खेत पर बने एक खुले बोरवेल में गिर पड़ा था। जिसे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने 16 घंटे के रिस्कयु के बाद बाहर तो निकाल लिया लेकिन ठंड की वजह से उसके सारे अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।