सागर के पहलवान बब्बा मंदिर को सरकारी घोषित करने के आदेश पर हाईकोर्ट का नोटिस, जिम्मेदारों से मांगा जवाब - khabarupdateindia

खबरे

सागर के पहलवान बब्बा मंदिर को सरकारी घोषित करने के आदेश पर हाईकोर्ट का नोटिस, जिम्मेदारों से मांगा जवाब


रफीक खान
मध्य प्रदेश के सागर जिले के प्रसिद्ध पहलवान बाबा
 को शासकीय घोषित किए जाने संबंधी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जिस पर हाईकोर्ट में जिम्मेदारों से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट के जस्टिस विशाल धगत की पीठ ने अधिग्रेहीत किए जाने एवं संपूर्ण प्रबंधन शासकीय समिति को सौंपने संबंधी मामले में सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किया है। High Court's notice on the order to declare Sagar's wrestler Babba temple as government, sought answers from those responsible.

जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि कलेक्टर सागर के आदेश को मंदिर के संस्थापक पंडित रामेश्वर तिवारी द्वारा चुनौती देने वाली याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन के राजस्व सचिव, कमिश्नर सागर , कलेक्टर सागर, और एसडीओ सागर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने तर्क दिया कि लगभग 45 वर्ष पूर्व सागर स्थित पीली कोठी के समीप खाली जमीन पर पहलवान बाबा जो की हनुमान जी का मंदिर था अत्यंत जीर्ण शीर्ण अवस्था में था एवं इस स्थान पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता था एवं अवैध गतिविधियां संचालित हो रही थी। सागर निवासी रामेश्वर तिवारी द्वारा इस स्थान को अपने साथियों के सहयोग से विकसित किया एवं 16 से अधिक मंदिरों का निर्माण कर एवं 10000 से अधिक वृक्षों को रोपकर एक अत्यंत रमणीक धार्मिक स्थान के रूप में विकसित किया। पूर्व में जिला न्यायालय द्वारा ट्रस्ट गठित करने का आवेदन पर निर्णय करने का आदेश किया था जिस पर एसडीओ सागर द्वारा समिति बनाकर रामेश्वर तिवारी को उपाध्यक्ष बनाया गया। परंतु तत्पश्चात कलेक्टर सागर द्वारा 30 जुलाई को आदेश पारित कर पूर्व के सभी आदेशों को निरस्त कर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर उसमें पूर्ण रूप से शासकीय कर्मचारियों की समिति निर्मित कर दी और उसे मंदिर की संपूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रदान कर दी गई। यह पूरी कार्रवाई शासकीय देवस्थान प्रबंध समिति नियम 2019 के अंतर्गत की गई जबकि यह नियम केवल शासन के नियंत्रित मंदिरों व शासन से अनुदान प्राप्त करने वाले मंदिरों पर ही लागू होता है अतः कलेक्टर द्वारा विधि विरुद्ध तरीके से गलत नियमों का प्रयोग कर मंदिर का प्रबंध अपने में निहित करने का विधि विरुद्ध कार्य किया है। याचिकाकर्ता की ओर से असीम त्रिवेदी, अपूर्व त्रिवेदी, आनंद शुक्ला ने भी पैरवी की।