रफीक खान
मध्य प्रदेश के सागर जिले से भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व गृहमंत्री तथा वर्तमान विधायक भूपेंद्र सिंह ने एक बार फिर अपनी पार्टी को आधे हाथों ले लिया है। विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन उन्होंने स्कूल शिक्षा मंत्री को जमकर हड़काया। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी और अतिक्रमण के मुद्दे पर सरकार गलत जवाब दे रही है। जब मंत्री ने प्रति उत्तर दिया तो उसे पर गृहमंत्री पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह झल्ला गए और उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि मैं झूठा हूं और अधिकारी सच्चे हैं। भूपेंद्र सिंह ने बहुत ही तलाक लहजे में स्कूल शिक्षा मंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि आप इस तरह से भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक को अपमानित ना करें।Former Home Minister and BJP MLA scolded the minister in MP Assembly, said- I am a liar and the officer is true
इस संबंध में जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि भूपेंद्र सिंह ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि मामला गंभीर है और केवल मालथौन का नहीं, पूरे प्रदेश में अवैध रूप से संचालित निजी स्कूलों का मामला है, जो शिक्षा का व्यवसाय कर रहे हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए नीति बनाई जाना चाहिए। भूपेंद्र सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र खुरई विधानसभा के मालथौन में संचालित आदर्श कान्वेंट स्कूल की मान्यता न किए जाने और शासकीय भूमि से बेदखली का नोटिस दिए जाने के बाद भी स्कूल के संचालन का विषय ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया। उन्होंने कहा कि अशासकीय शिक्षण संस्थाएं नियम विरुद्ध चल रही हैं। न तो इनमें खेल का मैदान है और न ही अन्य व्यवस्थाएं। बच्चों के यौन शोषण की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। मालथौन में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करके स्कूल बनाया गया है। तहसीलदार इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भी लिख चुके हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी और तहसीलदार की कार्रवाई के बाद भी न तो बेदखली की कार्रवाई की गई और न ही मान्यता समाप्त की गई। इस पर स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सदन को बताया कि प्रारंभिक तौर पर संस्था की मान्यता निलंबित की गई है। संस्थान ने इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की है, जिस पर स्थगन मिला है। क्षेत्र के नागरिकों में रोष एवं आक्रोश व्याप्त नहीं है। उनके इस कथन पर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अधिकारी कुछ भी उत्तर बनाकर दे दें पर सदन में मंत्री को ध्यान रखना चाहिए। जनप्रतिनिधि होने के नाते मुझे पता है कि आक्रोश है या नहीं। इसे नकारे जाने का मतलब यह हुआ कि मैं झूठ बोल रहा हूं। इस तरह अपमानित न करें। स्कूल शिक्षा मंत्री को और भी विधायकों ने व्यवस्था को कटघरे में करते हुए खरी खोटी सुनाई।