मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह को ट्रायल कोर्ट में पेश होना ही पड़ेगा। पेशी से बचने के लिए नेतागढ़ सुप्रीम कोर्ट गए थे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद पक्षकारों को नोटिस तो जारी किए लेकिन यह कह दिया कि उन्हें कोर्ट जाना पड़ेगा और कोर्ट में उनके लिए बेलेबल वारंट अनिवार्य नहीं होगा। Shivraj, VD and Bhupendra did not get relief even from the Supreme Court, will have to appear in the court
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट में तीनों नेताओं ने अपने खिलाफ दायर मानहानि का मामला खारिज करने की मांग करते हुए याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद विवेक तन्खा सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों में जवाब तो मांग लिया लेकिन शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह को चाही गई राहत नहीं दी है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीनों के खिलाफ बेलेबल वारंट की जरूरत नहीं है लेकिन तीनों नेता को अपने वकीलों के साथ ट्रायल कोर्ट में पेश होना होगा। अपने खिलाफ मानहानि का मामला खारिज करने की शिवराज, वीडी और भूपेन्द्र सिंह की मांग जबलपुर हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दी थी जिसके बाद तीनों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। कांग्रेस नेता, राज्यसभा सदस्य तथा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बीते पंचायत और निकाय चुनावों में परिसीमन और आरक्षण में रोटेशन का पालन ना होने पर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी लेकिन कोर्ट ने एक दूसरे मामले में सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। हालांकि ओबीसी आरक्षण पर रोक से विवेक तन्खा का कोई ताल्लुक नहीं था लेकिन आरोप है कि तत्कालीन सीएम शिवराज, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने विवेक तन्खा को ओबीसी विरोधी होने के बयान दिए और ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उन पर फोड़ दिया। ऐसे में विवेक तन्खा ने तीनों नेताओं पर 10 करोड़ की मानहानि का दावा ठोक दिया था। यह मामला इन दिनों राजनीतिक हलके में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।