रफीक खान
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के उपरांत प्रदेश के मुख्य सचिव तथा डीजीपी से पूछा कि आखिर किसकी परमिशन से मंदिरों का निर्माण पुलिस थानों में हो रहा है। पुलिस थाना में निर्माणाधीन मंदिरों पर रोक भी लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी। MP High Court bans temples under construction in police stations, notice sent to Chief Secretary and DGP
जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि राज्य सरकार से पूछा है, 'आखिरकार कैसे शासकीय जमीन पर मंदिर बन रहे हैं।' हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव अनुराग जैन, डीजीपी सुधीर सक्सेना को नोटिस देकर जवाब मांगा है। नोटिस गृह विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग को भी दिए गए हैं। जबलपुर निवासी याचिकाकर्ता ओपी यादव की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की। हाई कोर्ट में दायर याचिका में उल्लेखित किया गया है कि थानों में थानेदार धार्मिक स्थल बनवा रहे हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। 20 साल पहले 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में आदेश दिए थे कि सार्वजनिक स्थान, खासकर ऑफिस, पब्लिक रोड पर धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं होना चाहिए। जबलपुर के सिविल लाइन, विजय नगर, गढ़ा, लार्डगंज, कोतवाली, मदन महल समेत कई थानों में बने मंदिरों के फोटो याचिकाकर्ता ने याचिका में लगाई। याचिका कर्ता ने जनहित याचिका मैं कहा कि पहले छोटे-छोटे मंदिर बने थे उन्हें कड़ी काफी बड़े आकार का कर लिया गया है।