रफीक खान
उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में चल रहे बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने एक और प्रहार किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक मामले की सुनवाई के उपरांत आदेशित किया है कि पीड़ित को 25 लाख रुपए का मुआवजा अदा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से गैर कानूनी रही है, जिस व्यक्ति का बुलडोजर से मकान धराशाई किया गया है, उसमें कोई भी कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। यहां तक कि नोटिस भी नहीं दिया गया और यह बात सरकार ने अपने जवाब में भी उल्लेखित की है। Big blow to UP government on bulldozer action, SC said to give compensation of Rs 25 lakh
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि सिर्फ 3.6 वर्गमीटर का अतिक्रमण था। आपकी ओर से इसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया। बिना नोटिस दिए आप किसी का घर तोड़ने कैसे शुरू कर सकते हैं। किसी के भी घर में घुसना अराजकता है। आप पीड़ित को 25 लाख रुपये का मुआवजा दें। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है। हमारे पास हलफनामा मौजूद है। आप साइट पर गए और लोगों को घर तोड़ने की जानकारी दे दी। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आपके यह कहने का आधार क्या है कि यह अनाधिकृत था, आपने 1960 से क्या किया है, पिछले 50 साल से क्या कर रहे थे। सीजेआई ने कहा कि वार्ड नंबर 16 मोहल्ला हामिदनगर में स्थित अपने पैतृक घर और दुकान के विध्वंस की शिकायत करते हुए मनोज टिबरेवाल द्वारा संबोधित पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से कहा कि आपके अधिकारी ने पिछली रात सड़क चौड़ीकरण के लिए पीले निशान वाली जगह को तोड़ दिया, अगले दिन सुबह आप बुलडोजर लेकर आ गए। आप परिवार को घर खाली करने का समय भी नहीं देते। इस मामले में सड़क चौड़ीकरण तो सिर्फ एक बहाना नजर आता है। सीजेआई ने कहा कि यूपी ने एनएच की मूल चौड़ाई दर्शाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है। एनएचआरसी की रिपोर्ट बताती है कि तोड़ा गया हिस्सा 3.75 मीटर से कहीं अधिक था। इस तरह की अराजकता कानून के खिलाफ है और राज्य सरकार खुद अगर इस काम को कर रही है तो यह बेहद आपत्तिजनक है।