रफीक खान
प्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी की मुख्यमंत्री कार्यालय में रिटायरमेंट के बाद के लिए एक साल की नियुक्ति प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन द्वारा जारी किए गए हैं। आईपीएस अधिकारी वर्तमान में इंदौर में नौकरी कर रहे हैं और वह इसी माह रिटायर होने वाले हैं। उनके रिटायर होने के पहले ही यह आदेश जारी हो गया है और उनकी नियुक्ति 1 नवंबर 2024 से शुरू होकर एक साल तक जारी रहेगी। पर्याप्त मात्रा में आईपीएस अधिकारियों के होते हुए मुख्यमंत्री के कार्यालय में एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की एंट्री क्यों की गई? इसे लेकर ब्यूरोक्रेसी में खासी चर्चा बनी हुई है। Rtd IPS officer's entry into CM office, why?
बात यह है कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में रिटायर्ड अधिकारियों की नियुक्ति कोई नई बात नहीं है लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पहले जो भी नियुक्तियां यहां पर विशेष कर्तव्य अधिकारी OSD के रूप में की गई है, वह सभी IAS संवर्ग के रिटायर्ड अधिकारी रहे हैं। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी के रूप में नौकरियां दी जाती रही है और नियुक्ति होती रही है लेकिन इस बार मामला जरा हटकर है। राजेश हिंगणकर नाम के इन आईपीएस अधिकारी ने कई जिलों में पुलिस कप्तानी की है और वे वर्तमान में इंदौर पुलिस कमिश्नरेट में पदस्थ है। अक्टूबर 2024 में रिटायरमेंट होना है और 1 नवंबर 2024 से उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में बतौर ओएसडी नौकरी प्रदान कर दी गई। ब्यूरोक्रेसी में यह चर्चा बनी हुई है कि आईएएस अधिकारियों के रिटायर होते ही उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में पुनर्वास मिलता रहा है लेकिन आईपीएस अधिकारियों के लिए राजेश हिंगणकर की नियुक्ति ने रास्ता खोल दिया है। राजेश हिंगणकर की आवश्यकता मुख्यमंत्री कार्यालय को क्यों महसूस हुई? और नौकरी में कार्यरत आईपीएस अधिकारियों से हटकर उनका चयन क्यों किया गया? ऐसे अनेक सवालों ने जन्म ले लिए है। हालांकि लोग इस सब के पीछे फिलहाल मंथन ही कर रहे हैं और कयासबाजी का दौर चल रहा है सच्चाई तो सिर्फ राजेश हिंगणकर और और मुख्यमंत्री ही बेहतर जानते हैं। सामान्य तौर पर यह बात पूरी तरह साफ है कि राजेश हिंगणकर एक अनुभवी आईपीएस अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री कार्यालय को उनके अनुभव का लाभ निश्चित तौर पर मिलेगा।