रफीक खान
मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में लंबे समय तक पदस्थ रहे आईएफएस अधिकारी तथा सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डबास ने तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों तथा एक आईएफएस अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार से भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति देने की मांग की है तथा कहा है कि इन अधिकारियों ने मिलकर सरकार को जमकर नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होना चाहिए। Ex IFS exposed 3 IAS and 1 IFS, sent letter to CS
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि मप्र राज्य आजीविका मिशन में 2017 में की गई नियुक्तियों के मामले में इन अधिकारियों की गड़बड़ी, जांच रिपोर्ट में भी उजागर हो चुकी है। हालांकि सरकार ने इसके बाद भी पूर्व आइएएस और आइएफएस अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन इसके लिए शिकंजा कसा जा रहा है। पूर्व आइएफएस अफसर आजाद सिंह डबास ने तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों व एक आइएफएस अधिकारी के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार से भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति देने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग जैन को पत्र लिखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले की ईओडब्लू में शिकायत भी हुई थी लेकिन सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी। मिशन के तत्कालीन सीईओ द्वारा 15 जिलों में कर्मियों की नियुक्ति करने के संबंध में 8 मार्च 2017 को प्रशासकीय मंजूरी के लिए फाइल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन एसीएस को भेजी गई थी। रिक्त पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की बात कही गई। एक अन्य विभागीय अधिकारी ने चयन प्रक्रिया में 5 सदस्यीय समिति बनाने के लिए टीप लिखी जिसे तत्कालीन एसीएस ने नकार दिया। डबास ने अपने पत्र में दावा किया कि ईओडब्लू में हुई शिकायत के पूर्व विभागीय तौर पर नियुक्तियों में धांधली की जांच आइएएस नेहा मराव्या ने की थी। उन्होंने 8 जून 2022 को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में धांधली की बात स्वीकारी थी। इसके बावजूद दो वरिष्ठ आइएएस अफसरों ने मामले में कार्रवाई नहीं की और तत्कालीन सीईओ से इस्तीफा दिलवाकर मामला दबाने की कोशिश की गई। भ्रष्टाचार की सारी सच्चाई सामने आने के बाद भी आखिर सरकार क्यों इन अधिकारियों को बचाने में दिलचस्पी दिखा रही है?