रफीक खान
इन दिनों मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आ रहे लगातार आदेशों में वरिष्ठ अधिकारियों की गफलत पर लगाम लगाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। एक और ताजा आदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित किया गया, जिसमें मुआवजा राशि के एक मामले में पीड़ित को बड़ी राहत दी गई है। मुआवजा राशि वसूलने के लिए हाई कोर्ट द्वारा जो आदेश पारित किया गया है, उसके तहत वर्ष 1988 से अब तक पदस्थ रहे सभी कलेक्टरों को उसकी भरपाई करना पड़ेगी। हाई कोर्ट के इस आदेश का अमल भी जल्द देखने को मिलेगा। हाई कोर्ट का यह ऐतिहासिक आदेश जस्टिस गुरु पाल सिंह अहलूवालिया की कोर्ट से पारित हुआ है। Compensation amount will be recovered from all the collectors of Jabalpur who have been in office since 1988, historic order of the High Court
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि जबलपुर निवासी शशि पांडे ने याचिका लगाते हुए बताया कि उनकी आधारताल बायपास से लगी 29 हजार 150 वर्गफुट जमीन सन 1988 सरकार ने ले ली। इस जमीन के बदले मुआवजा नहीं दिया गया और इतने सालों में अधिग्रहण की कार्रवाई भी नहीं की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को याचिकाकर्ता शशि पांडे को उनकी जमीन के बदले सन 1988 से अभी तक का मुआवजा 10 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे की पूरी राशि इस दौरान जबलपुर में पदस्थ रहे सभी कलेक्टरों से वसूल की जाए। आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव को इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए।याचिकाकर्ता शशि पांडे की अधारताल बायपास से लगी 29 हजार 150 वर्गफुट जमीन सरकार ने 5 फरवरी, 1988 को ले ली थी। इस जमीन का न तो मुआवजा दिया गया और न ही अधिग्रहण किया गया। इसके पहले भी शशि पांडे ने एक याचिका दायर की थी जिसमें हाई कोर्ट ने 2006 में प्रकरण का निराकरण करने के निर्देश कलेक्टर को दिए थे। 36 साल की इस अवधि में करीब दर्जन भर कलेक्टरों की पदस्थापना यहां हो चुकी है।