रफीक खान
मध्य प्रदेश के उमरिया जिला अंतर्गत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बुधवार को सुबह तीन और हाथियों ने दम तोड़ दिया। मंगलवार को चार हाथियों की मौत से पहले ही वन्य क्षेत्र में सनाका सा छा गया था और कई हाथी अभी भी बीमारी की स्थिति में है। अब तक कुल 7 हाथियों की मौत के बाद जंगलों और जंगली जानवरों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवालिया निशान आ खड़ा हुआ है। दिल्ली से एनटीसीए यानी कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की तीन सदस्य टीम जांच के लिए बांधवगढ़ पहुंच चुकी है, जिसने अनेक बिंदुओं पर अपनी पड़ताल शुरू कर दी है। मेरठ हाथियों को दफनाने के लिए 500 बोरी से ज्यादा नमक का इंतजामकिया गया है। After 4, 3 more elephants died this morning, total 7 dead so far
गौरतलब है कि मंगलवार को जंगल में चार हाथी मृत मिले थे। तीन हाथियों की हालत गंभीर है, उनका इलाज किया जा रहा है। जबकि, तीन हाथी जंगल में है, दो अफसरों की टीग पैदल ही उनकी निगरानी कर रही है। डॉक्टरों ने प्राथमिक तौर पर जहरखुरानी की आशंका जताई है। आठ डॉक्टरों की टीम हाथियों का पोस्टमॉर्टम कर रही है। इसके बाद इन्हें दफनाया जाएगा। इसके लिए 500 बोरी नमक मंगाया गया है। दो जेसीबी की मदद से गड्ढे खुदवाए जा रहे हैं। बांधवगढ़, संजय टाइगर रिजर्व समेत कटनी, उमरिया और स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर के वेटरनरी डॉक्टर हाथियों के इलाज में जुटे हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा के अनुसार मंगलवार दोपहर करीब 12:30 बजे सूचना मिली कि जंगल में 13 हाथियों का झुंड घूम रहा है। खितौली और पतौर परिक्षेत्र के सलखनियां में आठ हाथियों की तबीयत बिगड़ गई। सभी 100 से 200 मीटर के एरिया में बेहोश होकर गिर गए। इसके बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, जबलपुर, उमरिया और कटनी से आठ से ज्यादा वेटरनरी डॉक्टरों को बुलाया गया। बताया जाता है कि रिजर्व में 60 से ज्यादा जंगली हाथी है, जो अलग-अलग झुंड बनाकर घूमते हैं। इनकी देखरेख के लिए रोजाना जंगल में गश्त की जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि हाथियों ने किसी जहरीले या नशीले पदार्थ का सेवन किया है। इस एरिया में कोदो-कुटकी भी होती है। मात्र 24 घंटे के भीतर सात हाथियों की मौत के बाद उमरिया जंगल प्रबंधन के अधिकारियों की नींद हराम हो गई है और हर स्तर पर मौत के कारणों का पता लगाने तथा सुरक्षा प्रदान करने के लिए कवायद की जा रही है।