रफीक खान
छत्तीसगढ़ में हुए नागरिक आपूर्ति निगम यानी की NAN के घोटाला संबंधी मामले में बनाए गए आरोपी आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला को अग्रिम जमानत दिए जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में काफी गंभीरता से लिया है। असल में हाईकोर्ट के जज द्वारा दी गई अग्रिम जमानत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और सरकार तथा ED ने सवाल उठाया है। न्यायिक व्यवस्था पर उंगली उठने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट जज की भूमिका की जांच करने का निर्णय भी ले लिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को तय की गई है। Anticipatory bail to IAS officers, SC decides to investigate the role of judge
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि जस्टिस एएस ओका और एजी मसीह की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से इन मामलों में कुछ सबूतों की मांग की। उन्हें जानना था कि क्या जमानत पाए इन अफ़सरों ने जमानत का दुरुपयोग करते हुए सबूतों से छेड़छाड़ की है? और क्या उन्होंने जज को भी प्रभावित किया है। राजू ने कहा कि ईडी ने सबूतों को सीलबंद लिफाफे में पेश किया था, लेकिन अभी अदालत को ये मिल नहीं रहे हैं। उन्होंने सबूत दुबारा दाखिल करने की पेशकश की। राजू ने कहा, “ऐसी दीमकों को न्यायिक प्रणाली को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।” सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद में अब मामला काफी महत्वपूर्ण और रोचक हो गया है।