रफीक खान
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सोमवार की शाम से लगातार पथराव चल रहा है और अब तक इसमें 350 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। घायलों में 14 की हालत गंभीर बताई गई है। 100 से ज्यादा लोगों को सिविल अस्पताल तथा विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि 10 लोगों को नागपुर रेफर किया गया है। Stone pelting in Chhindwara, more than 350 injured, condition of 14 critical, 10 referred to Nagpur पथराव अभी भी जारी है। पुलिस तथा प्रशासन के अधिकारी वहां डेरा डाले हुए हैं।
दरअसल यह पथराव किसी मौजूदा विवाद या आक्रोश का हिस्सा नहीं है बल्कि यह एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है। जो छिंदवाड़ा के इतिहास में दर्ज है। जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि गोटमार मेला सोमवार की शाम शुरू हुआ और करीब 2 घंटे चलने के बाद बंद हो गया। इस दौरान दो दर्जन लोग घायल हुए थे। इनमें से गंभीर रूप से घायल हुए चार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार को सुबह 10:00 बजे से गोटमार फिर शुरू हुई और पथराव में अब तक काफी लोग घायल हो चुके हैं। मेला प्रतिवर्ष पोला पर्व के दूसरे दिन लगता है। पांढुर्णा की पहचान गोटमार मेले के बिना अधूरी है। आस्था और सदियों से चली आ रही इस परंपरा को खूनी खेल के नाम से भी जाना जाता है। यह पत्थरों का खेल पांढुर्णा की जाम नदी की पुलिया पर खेला जाता है। पांढुर्णा और सावरगांव के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं और अपना लहू बहाकर सदियों से चली आ रही गोटमार की इस परंपरा को कायम रखते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस परंपरा को कायम रखने के लिए अभी तक पुलिस व प्रशासन भी सहयोग की पूरी भूमिका निभाते आ रहा है। पथराव रोकने के लिए पुलिस वहां मौजूद रहती है लेकिन किसी को रोकती नहीं है। प्रशासन भी व्यवस्थाओं की निगरानी करता है।