SC बुलडोजर न्याय: ऐसे कैसे गिरा सकते हो किसी के घर को, बनाई जाएगी गाइड लाइन - khabarupdateindia

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SC बुलडोजर न्याय: ऐसे कैसे गिरा सकते हो किसी के घर को, बनाई जाएगी गाइड लाइन


रफीक खान
बुलडोजर न्याय के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी के भी घर को ऐसे कैसे गिराया जा सकता है। हर काम कानून के दायरे में होना चाहिए। बढ़ती इस तरह की घटनाओं के मद्देनजर तोड़फोड़ को लेकर गाइडलाइन बनाई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अब अगली सुनवाई 17 सितंबर को करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और पक्षकारों से सुझाव भी मांगे हैं, जिसके आधार पर ही गाइडलाइन का निर्धारण किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि देश के कई राज्‍यों में बुलडोजर ' जस्टिस' यानि अपराधियों के घर पर तोड़फोड़ की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। पूरे देश में लोगों के साथ बुलडोजर जैसा न्याय नहीं किया जा सकता। बुलडोजर जस्टिस मामले में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने बहुत पहले एक हलफनामा दाखिल किया था। इस विवाद पर अब विराम लगना चाहिए। वहीं जमीयत की ओर से पेश हुए दुष्यंत दवे ने कहा कि एक बयान दर्ज किया जाए कि पूरे देश में लोगों के साथ बुलडोजर जैसा न्याय नहीं किया जाएगा। सब राज्य यही कर रहे हैं। ये बड़ा मुद्दा है। तुषार मेहता में सुनवाई के दौरान कहा कि 'हमारा जवाबी हलफनामा 09 अगस्त 2022 का है। सिर्फ़ इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसे ध्वस्त करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। कोई भी अचल संपत्ति सिर्फ़ इसलिए ध्वस्त नहीं की जा सकती क्योंकि मालिक/कब्जाधारी अपराध में शामिल है। यह सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई ने इस दौरान कहा कि सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी है, उसका घर कैसे तोड़ा जा सकता है? यहां तक कि किसी को सजा भी हो जाती है, तो भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घर नहीं तोड़ा जा सकता। जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि इसके क्रियान्वयन में कुछ दिशा-निर्देश क्यों नहीं पारित किए जा सकते, ताकि इसका पालन हो। पहले नोटिस, जवाब देने का समय, कानूनी उपायों को अपनाने के लिए दिया गया समय, जवाब और फिर तोड़फोड़ की बारी आती है।सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि हम गैरकानूनी निर्माण के बचाव में नहीं हैं, लेकिन तोड़फोड़ के लिए कोई गाइडलाइन होनी चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है, क्योंकि वह आरोपी है? अगर वह दोषी भी है, तो भी घर नहीं गिराया जा सकता. हमें रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता? जस्टिस विश्वनाथन ने कहा एक पिता का बेटा अड़ियल हो सकता है, लेकिन अगर इस आधार पर घर गिरा दिया जाता है, तो यह सही तरीका नहीं है। इस परंपरा पर हर हाल में विराम लगना चाहिए।