रफीक खान
मध्य प्रदेश के सागर जिले के खुरई इलाके में देर रात तक हंगामा होता रहा। लोगों ने चक्का जाम कर दिया। मामला यह था कि खुरई निवासी एक महिला की सिजेरियन डिलीवरी राठौर मिशन हॉस्पिटल में हुई थी। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने पेट में ही कपड़ा छोड़ दिया और महिला 11 महीने तक न सिर्फ दर्द से कराहती रही बल्कि लगातार दर-दर भटकती रही। बाद में महिला का ऑपरेशन कर कपड़ा निकाला गया लेकिन इंफेक्शन अत्यधिक बढ़ जाने के कारण उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजन और क्षेत्रीय नागरिक आक्रोशित हो उठे तथा उन्होंने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। After the operation, clothes were left in the woman's stomach, after her death in Mission Hospital, angry people blocked the road पुलिस की समझाइस के बाद चक्का जाम आंदोलन समाप्त हुआ तथा रविवार को मृतक महिला का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है पुलिस ने जांच के लिए एक SIT भी गठित कर दी है।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि राठौर मिशन वस्पताल में महिला की डिलीवरी हुई थी। महिला के भाई सुनील अहिरवार ने पुलिस को बताया कि बहन अनीता अहिरवार (38) की पहली डिलीवरी खुरई के राठौर मिशन अस्पताल में 6 सितंबर 2023 को हुई थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके डिलीवरी कराई। बच्ची का जन्म हुआ था। इसके बाद से ही बहन की तबीयत खराब होने लगी। उसे कई बार मिशन अस्पताल लेकर गए, लेकिन कोर्ड आराम नहीं हुआ। इलाज कराने झांसी, बीना और भोपाल भी गए, लेकिन बहन की तकलीफ कम नहीं हुई। 23 अगस्त 2024 को बहन को सागर के भाग्योदय अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के बाद डॉक्टरों ने बताया कि बहन के पेट में कपड़ा फंसा हुआ है, जिसे निकालने के लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। 28 अगस्त को ऑपरेशन कराया तो पेट में से कपड़ा निकाला। बहन रूम में ही भर्ती रही। 7 सितंबर शनिवार शाम को इलाज के दौरान जसने दम तोड़ दिया। आंदोलनकरियों की मांग है कि लापरवाह डॉक्टर और पूरी टीम पर आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए। साथ ही मृतक महिला का पति भी नहीं है, इसलिए उसकी बच्ची की परवरिश के लिए आर्थिक सहायता सरकार द्वारा मुहैया कराई जाए।