रफीक खान
अंतर्राष्ट्रीय गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का जेल में लिया गया इंटरव्यू का मामला भारत की सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, मनोज मिश्रा तथा जे बी पारदीवाला ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में एक SIT का गठन कर जांच करने के जो निर्देश दिए हैं, उसके तहत इंटरव्यू लेने वाले एबीपी न्यूज़ के पत्रकार के खिलाफ फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। सीजीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा आईपीएस प्रबोध कुमार की अध्यक्षता वाली SIT को इंटरव्यू से संबंधित मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश के खिलाफ सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि पीठ ने कहा कि अपराधियों को बेनकाब करने के पत्रकार के इरादे के बावजूद, कैदियों का इंटरव्यू करना ‘जेल नियमों का गंभीर उल्लंघन है’। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ‘‘एक तय स्तर पर, इंटरव्यू चाहने वाले आपके मुवक्किल ने संभवत: जेल के कुछ नियमों का उल्लंघन किया।’’ समाचार चैनल की याचिका पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार और आईपीएस अधिकारी प्रबोध कुमार को नोटिस जारी किए जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की अगुवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने समाचार चैनल और एंकर की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और आरएस चीमा की इन दलीलों पर संज्ञान लिया कि ‘स्टिंग ऑपरेशन’ करने के लिए जान के खतरे का सामना कर रहे पत्रकार को गिरफ्तार नहीं किया जाए। प्रधान न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘‘दूसरे याचिकाकर्ता एसआईटी जांच में सहयोग करेंगे। समाचार चैनल और पत्रकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर स्वयं द्वारा शुरू किए गए मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था। हाई कोर्ट की मंशा थी कि इस मामले में अधिकारियों की संलिप्तता का पता लगाया जा सके। बिश्नोई 2022 में गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के आरोपियों में से एक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश सा फिलहाल न्यूज़ चैनल के पत्रकार को राहत मिल गई है।