रफीक खान
मदरसों को लेकर मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार एक बार फिर सख्त लहजे में नजर आ रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया एक आदेश चर्चा का विषय बन गया है। आदेश में स्पष्ट तौर पर चेताया गया है कि मदरसों में फर्जीबाड़े को फौरन रोक दिया जाए। गलत तरीके से नाम की दर्जियत, गलत तरीके से दर्जियत की संख्या बढ़ाना, गलत तरीके से गैर मुसलमानों को मुस्लिम बताना तथा गैर मुसलमानों को बिना उनकी लिखित अनुमति के धार्मिक शिक्षा देना जैसी चीजों पर तत्काल अंकुश लगाया जाए। ऐसा न करने पर संबंधित मदरसों की न सिर्फ मान्यता समाप्त की जाएगी, उनका अनुदान रोका जाएगा बल्कि उनके विरुद्ध अन्य विधि सम्मत कार्रवाई भी की जाएगी।
मध्य प्रदेश शासन लोक शिक्षण विभाग की आयुक्त शिल्पा गुप्ता द्वारा जारी किए गए आदेश में स्पष्ट किया गया है कि गैर-मुस्लिम बच्चों को मज़हबी तालीम देना गैर-कानूनी है। किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि के लिए अब अभिभावक की लिखित मंजूरी अनिवार्य कर दी गई है। इस आदेश में संविधान की धारा 28(3) का भी हवाला दिया गया है, जो धार्मिक शिक्षा से संबंधित है। सरकार को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि प्रदेश के मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों को भी धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए बाल आयोग ने भी इस पर चिंता जताई थी। स्कूल शिक्षा विभाग ने इन मामलों की जांच के लिए भौतिक सत्यापन करने के निर्देश भी दिए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी गैर-मुस्लिम बच्चे को बिना उसके अभिभावक की अनुमति के धार्मिक शिक्षा न दी जाए। इस फैसले के बाद, प्रदेश भर में मदरसों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी, जिससे कि कानून का पालन सुनिश्चित किया जा सके। आदेश में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा की गई आपत्ति तथा कई समाचार पत्रों में छपी खबरों का हवाला देते हुए कहा गया है कि मदरसों में कई तरह का वायलेशन हो रहा है, जिसे हर हाल में रोका जाएगा।