रफीक खान
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से के मध्य विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक आरिफ मसूद को हाई कोर्ट से झटका लगा है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ध्रुव नारायण की चुनाव याचिका को चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के विरुद्ध चुनाव याचिका विचाराधीन है, ऐसे में उसे निरस्त किया जाना उचित नहीं होगा। आरिफ मसूद के खिलाफ चुनाव याचिका की सुनवाई जारी रहेगी और भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण द्वारा दायर की गई चुनाव याचिका का सामना आरिफ मसूद को हाई कोर्ट में करना पड़ेगा।
यह मामला विधानसभा चुनाव-2023 का है, जिसमें भोपाल मध्य से कांग्रेस प्रत्याशी आरिफ मसूद ने विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान हलफनामा में स्वयं के नाम से लिया 34 लाख 10 हजार और पत्नी रूबीना मसूद के नाम पर लिया 31 लाख 28 हजार को मिलाकर करीब 65 लाख 38 हजार रूपए के लोन की जानकारी चुनाव आयोग से छुपाई गई है। इस पर भाजपा प्रत्याशी रहे ध्रुव नारायण सिंह ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनावी याचिका दायर कर उनकी विधायकी खत्म करने की मांग की थी। इस पर आरिफ मसूद की ओर से हाईकोर्ट में ध्रुव नारायण सिंह द्वारा दायर याचिका को नियम विरूद्ध बताते हुए आरिफ ने खुद एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बैंच में हुई सुनवाई में भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर कोड 11 अर्थात 7/11 का आवेदन हाईकोर्ट में दिया और ध्रुव नारायण की चुनावी याचिका को अनियमित एवं नियम विरूद्ध बताया। इस पर ध्रुव नारायण के वकील गौरव तिवारी ने दलील दी कि चुनाव याचिका रजिस्ट्रार हाईकोर्ट से स्वीकृत होकर बैंच तक पहुंचती है। इस चुनावी याचिका की ड्राफ्टिंग सहित तमाम सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट की पहले ही जांच की जा चुकी है। इसके साथ ही ऐसे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के हवाले से कोर्ट ने यह माना कि इस याचिका में कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर की धारा का बिलकुल भी उल्लंघन नहीं हुआ। इसलिए याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता। कांग्रेस विधायक के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनाव याचिका पर अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी। विधायक आरिफ मसूद पर चुनावी याचिका में सुनवाई होने और भाजपा प्रत्याशी रहे ध्रुव नारायण के आरोप सही साबित होने पर आरिफ मसूद की विधायकी छिन सकती है। अब चुनाव याचिका की पूरी सुनवाई होने के बाद जो अंतिम निर्णय आएगा उस पर ही सारा दारोमदार होगा।