रफीक खान
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन की आड़ में सत्ता हथियाने का जो खेल चल रहा है। उसमें स्थितियां बहुत ही ज्यादा अराजक हो गई है। भीड़ बेकाबू है और वह जहां चाह रही है, वहां धाबा बोलकर तबाही मचा रही है। उसके लिए ना कोई हिंदू है ना कोई मुसलमान, जो भी उनके सामने आड़े आ रहे हैं या फिर उनकी लिस्ट में शामिल है, सबको निपटाया जा रहा है। बीती देर रात बांग्लादेश के एक मशहूर एक्टर और उसके प्रोड्यूसर पिता को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके अलावा एक म्यूजिशियन को निशाना बनाकर उसके 140 साल पुराने घर में आग लगा दी गई। म्यूजिशियन के भी मारे जाने की खबर है। इसके अलावा अनेक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया है। जो नेता रडार पर आए हैं, वह अपनी जान और संपत्ति बचाने के लिए यहां वहां भाग रहे हैं। जबकि जो सत्ता की गद्दी पर बैठना चाहते हैं, वह लगातार समीकरणों को जमाने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर यह है कि सत्ता से लतियाए गए और सत्ता के भूखों को कत्लेआम से कोई सरोकार नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि बांग्लादेश में भीड़ ने जिस एक्टर की हत्या की उनका नाम शान्तो खान है। जिनके पिता सलीम खान एक प्रोड्यूसर थे और चांदपुर सदर उपजिला के लक्ष्मीपुर मॉडल यूनियन परिषद के अध्यक्ष थे, भीड़ ने उनकी भी हत्या कर दी। बांग्ला चलचित्र ने सोशल मीडिया के जरिए भी इसकी जानकारी दी है। शान्तो और उनके पिता सलीम खान दोपहर को जब घर जा रहे थे, इसी दौरान फरक्काबाद बाजार में उनका भीड़ से सामना हुआ। इस दौरान उन्होंने गोली चलाकर पहले तो खुद को बचा लिया, लेकिन फिर भीड़ ने उन पर और उनके पिता पर हमला कर दिया। शान्तो के पित सलीम खान मुजीबुर रहमान पर बनी चर्चित फिल्म के प्रोड्यूसर थे। सलीम खान और शान्तो पर केस भी दर्ज है। दोनों को चांदपुर समुद्री सीमा पर पद्मा-मेघना नदीं में अवैध रेत खनन मामले में दोषी ठहराया गया था। इस केस के चलते सलीम जेल भी जा चुके थे। वहीं शान्तो पर भ्रष्टाचार निरोधक आयोग में मामला चल रहा था। शान्तो और सलीम की हत्या के बाद बांग्ला फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों में डर का माहौल है। बांग्लादेशी फिल्मों में काम कर चुके टॉलीवुड एक्टर जीत ने एक्स के जरिए बांग्लादेश हिंसा पर प्रतिक्रिया दी है और इसे दिल को चकनाचूर कर देने वाला बताया है। उधर शेख हसीना अभी भारत में ही डेरा डाले हुए हैं, उनकी शरण के लिए किसी भी देश ने अब तक फैसला नहीं किया है।