रफीक खान
हिंदुस्तान के वक्फ कानूनो में संशोधन के रास्ते से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय और राज्य के बोर्ड के अधिकारों पर कैची चलाना शुरु कर दी है। लोकसभा चुनाव के पहले एक वर्ग विशेष की वोटो को रिझाने के लिए यह ऐलान किया गया था और इस पर अमल भी शुरू हो गया है। केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में वक्फ अधिनियमों में 40 संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। अब इसे सदन में पेश करने की तैयारी है और यह भी उम्मीद की जा रही है कि सोमवार 5 अगस्त को ही इसे पेश किया जा सकता है।
गौरतलब है कि 1954 में वक्फ अधिनियम पारित किया गया था। देशभर में वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हैं। 1995 में वक्फ कानून में संशोधन करते हुए वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दी गई थी। इसके मुताबिक वक्फ बोर्ड अगर किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे, तो उसे उसकी संपत्ति माना जाएगा। हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि वक्फ बोर्ड अपनी जमीनों को बचाने के लिए दावे तो बहुत करता रहा और कानूनन उसे अधिकार भी बहुत थे लेकिन व्यावहारिक रूप से अमल कर पाने में बहुत कठिनाई होती थी। इसकी वजह यह है कि वक्फ बोर्ड के पास मैनपॉवर नहीं है और आधे से ज्यादा संपत्ति दूसरे लोगों के कब्जे में चली आ रही है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 अगस्त को कैबिनेट ने वक्फ़ अधिनियम में लगभग 40 संशोधन को मंजूरी दे दी। इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य वक्फ़ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना है। वक्फ के इन दावों के कारण अक्सर विवाद और समानांतर कानून-व्यवस्था चलाने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। केंद्र इस निरंकुशता को खत्म करना चाहता है।
5 अगस्त को इसलिए है उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान एनडीए सरकार इस संशोधन को 5 अगस्त 2024 को संसद में रख सकती है। 5 अगस्त की तारीख पिछले कुछ बड़े मामलों में सामने आ चुकी है, इसलिए यह संभावना ज्यादा लग रही है कि इन कानून के संशोधन के लिए भी इसी तिथि का उपयोग किया जा सकता है। मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का बिल संसद में पेश किया था। इसके बाद पीएम मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया था। अब अगर सोमवार को यह कार्रवाई की गई तो केंद्र की एनडीए सरकार के इतिहास में यह तिथि एक बार फिर शामिल हो जाएगी।
यह बदलाव होने की खबर
प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ़ बोर्डों द्वारा संपत्तियों पर किए गए या किए जाने वाले दावों का सत्यापन अनिवार्य किया जाएगा। वक्फ़ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए भी सत्यापन करना अनिवार्य होगा। इससे विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्डों द्वारा जमीनों एवं अन्य संपत्तियों को किए जाने वाले दावों पर अंकुश लगेगी। इससे विवादों को रोकने में भी मदद मिलेगी। यह भी कहा जाता है कि केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है। ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है। कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। वहीं हाईकोर्ट में PIL के अलावा अपील का कोई प्रावधान नहीं है।मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में वक्फ बोर्डों का पुनर्गठन, बोर्डों की संरचना में बदलाव और बोर्ड द्वारा वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित करना शामिल किए जाने की खबर है। विधेयक में सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ बोर्डों की संरचना को बदलने के लिए वक्फ एक्ट की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि निकायों में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। मोदी सरकार के विधेयक में स्टेट वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई विवादित जमीन के नए सत्यापन की मांग करने का भी प्रस्ताव है। विधेयक में वक्फ बोर्डों द्वारा जिस संपत्तियों पर दावा किया जाएगा, उसको अनिवार्य रूप से सत्यापित किया जाएगा। इसके अलावा भी और कई संशोधन है, जो सदन में ही सामने आने के बाद स्पष्ट हो पाएंगे।