MP हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी: डॉक्टर्स की हड़ताल खत्म होने का इंतजार नहीं करेगी मौत MP High Court's harsh comment: Death will not wait for the doctors' strike to end - khabarupdateindia

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MP हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी: डॉक्टर्स की हड़ताल खत्म होने का इंतजार नहीं करेगी मौत MP High Court's harsh comment: Death will not wait for the doctors' strike to end


रफीक खान
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 8 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसके बाद की गई हत्या के विरोध में पूरे देश के डॉक्टर लामबंद होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं और न सिर्फ सरकारी अस्पतालों में बल्कि प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर भी तरह-तरह से हड़ताल कर चिकित्सा सुविधाओं को बाधित कर रहे हैं। यह मामला हाई कोर्ट तक भी जा पहुंचा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने डॉक्टर की हड़ताल मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि डॉक्टर को तुरंत काम पर लौटना चाहिए, क्योंकि किसी की मौत डॉक्टर की हड़ताल खत्म होने का इंतजार नहीं करेगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट की युगलपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, मेडिकल कॉलेजो के डीन, जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन तथा जीएमसी भोपाल को नोटिस जारी कर जवाब भी तलब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को निर्धारित की गई है।

जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि जनहित याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी ने डॉक्टरों की हड़ताल को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल व अभिषेक पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2023 में भी इसी विषय को लेकर जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं।मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने डॉक्टरों को हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हड़ताल के कारण किसी मरीज की जान गई तो, चिकित्सा का पेशा दागदार होगा। डॉक्टरों ने भोपाल, जबलपुर में भी अस्पतालों में ओपीडी बंद रखने का फैसला लिया है। प्रदेश में हड़ताल की वजह से ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बिगड़ने लगी है। इलाज के लिए मरीजों की लाइनें लग रही। कोर्ट ने यह भी सवाल किया था कि पूर्व में दिए स्पष्ट आदेश के बावजूद कोर्ट की अनुमति बिना भोपाल में डॉक्टर हड़ताल पर क्यों गए हैं? कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, डीन गांधी मेडिकल कालेज व जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, जीएमसी भोपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।