रफीक खान
मध्य प्रदेश में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के पांच अधिकारी गिरफ्तार किए जाएंगे। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इन आईएएस अधिकारियों पर चल रहे अवमानना मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए हैं। एक कर्मचारी के वेतनमान से जुड़े इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट की सुनवाई कर रही बेंच ने यह पाया कि अधिकारियों के द्वारा बेहद मनमानी पूर्ण रवैया अपनाया गया है। जिसके चलते कर्मचारी जिस लाभ का हकदार था, उसे वह प्रदान नहीं किया गया। हाई कोर्ट द्वारा एक साथ पांच अधिकारियों के गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद आईएएस खेमे में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। पहले से ही हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में प्रचलित एक मामले में नर्मदापुरम कलेक्टर आईएएस अधिकारी सोनिया मीणा पर तलवार लटक रही है।
कहा जाता है कि अप्रैल 2024 में इंदौर के एक कर्मचारी के पक्ष में हाई कोर्ट ने फैसला दिया था। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने उस कर्मचारी को लाभ नहीं दिया है। पूर्व की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए एक पॉलिसी बनाई थी। इस पॉलिसी में 100 प्रतिशत वेतनमान देने का फैसला हुआ था। ज्यादातर कर्मचारियों को यह वेतनमान मिल भी गया, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कुछ कर्मचारी छूट गए थे। इस मामले में इंदौर में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पार्थन पिल्लई को वेतनमान (पे स्केल) नहीं मिला। उन्होंने उच्च अधिकारियों के सामने ये बात रखी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आखिर में उन्होंने हाई कोर्ट में केस दर्ज करवा दिया। नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया और दूसरे कर्मचारियों की तरह पिल्लई को भी वेतनमान देने के लिए कहा। हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 महीने में वेतनमान मिलना था, लेकिन अप्रैल 2024 तक वेतनमान नहीं मिला, तो पार्थन पिल्लई ने कोर्ट में अवमानना याचिका लगा दी। इसके बाद हाई कोर्ट ने 5 लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। 12 अगस्त 2024 को हुई सुनवाई में राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, हेल्थ कमिश्नर विवेक पोरवाल, हेल्थ डायरेक्टर दिनेश श्रीवास्तव और इंदौर के क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ आर.सी पनिका के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह सभी अधिकारी 9 सितंबर को गिरफ्तार होकर अदालत में पेश किए जाएंगे, जहां से इन्हें जमानत प्रदान की जाएगी।