रफीक खान
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के टीटी नगर थाने में क्राइम ब्रांच और लोकल पुलिस द्वारा एक युवक को लूट के झूठे मामले में फसाने, उसे छोड़ने के नाम पर ₹2 लाख की रिश्वत मांगने, उसके साथ पुलिस अभिरक्षा में लगातार मारपीट करने, फिर उसके बाद उसे मनोरोगी बताकर ग्वालियर पहुंचा देने, जेल में पिटवाने जैसे मामले में कोर्ट ने न्यायिक जांच रिपोर्ट में की गई अनुशंसा के बाद वर्तमान में मिसरोद थाने में पदस्थ टी आई, इंदौर जेल में पदस्थ जेलर, एक डाक्टर समेत आठ आरोपियों पर एफआईआर के आदेश दिए हैं। तकरीबन 9 साल पुराने इस मामले में कोर्ट द्वारा की गई कार्रवाई के बाद राजधानी पुलिस सकते में है।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि जेल में बंद विचाराधीन बंदी मोहसिन खान (24 वर्ष) की 23 जून 2015 को मौत हो गई थी। वह ग्वालियर के जेएएच अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था। मोहसिन भोपाल का रहने वाला था। मोहसिन की मां ने कोर्ट में प्राइवेट कम्प्लेंट फाइल की थी। न्यायाधीश वीरेंद्र यादव ने इस मामले की जांच की थी। इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मनीष मिश्रा की कोर्ट ने उक्त आदेश दिया है। इस संबंध में एडवोकेट आमिरउल्ला खान ने बताया कि मोहसिन के परिजन का आरोप था कि 3 जून 2015 को क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही मुरली, दिनेश खजूरिया और चिरोंजी पूछताछ के लिए ले गए थे। जब वे मोहसिन को छुड़वाने के लिए क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे तो उनसे दो लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई। क्राइम ब्रांच के बाद पुलिस ने मोहसिन पर टीटी नगर थाने में लूट का झूठा अपराध कायम कर उसे अदालत में पेश कर जेल भिजवा दिया। इससे पहले क्राइम ब्रांच और टीटी नगर थाने में उसके साथ मारपीट की गई थी। उसके प्राइवेट पार्ट में करंट लगाया था। इस बात की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में हुई थी। जेल में भी जेलर पर मोहसिन से मारपीट किए जाने के आरोप परिजन ने लगाए थे। मृतक की मां सीमा खान की ओर से पैरवी अधिवक्ता यावर खान ने की थी। इस मामले में पहले 3 बार न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हत्या और साक्ष्य मिटाने का मामला दर्ज किया था। तीन बार सेशन कोर्ट ने वापस लोअर कोर्ट में पुनः जांच कर आदेश करने के लिए भेजा था। चौथी बार फिर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस अधिकारी, जेलर सहित हमीदिया अस्पताल के तत्कालीन मेडिकल ऑफिसर के विरुद्ध हत्या और साक्ष्य मिटाने का अपराध दर्ज कर समन जारी किए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ज्यूडिशियल कस्टडी में मारपीट से हुई मौत समाज में गहरा धब्बा होता है।
ये लगाए गए हैं आरोप
बताया जाता है कि टीटी नगर थाने में बतौर टीआई पदस्थ रहने के दौरान मनीषराज सिंह भदौरिया ने लूट के एक मामले में मोहसिन को फर्जी तरीके से आरोपी बनाया। साथ ही घायल हालत में थाने में पहुंचे मोहसिन के साथ मारपीट की। हमीदिया अस्पताल के मनोरोग विभाग में पदस्थ रहे एक डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने केंद्रीय जेल भोपाल में बंद कैदी मोहसिन खान को मनोरोगी घोषित किया। जबकि वह स्वस्थ था। इसके अलावा मनोरोगी बताकर ट्रीटमेंट के लिए घायल हालत में ग्वालियर स्थित जयारोग्य हॉस्पिटल रेफर किया। केंद्रीय जेल भोपाल के तत्कालीन जेलर आलोक वाजपेयी पर आरोप है कि लूट के मामले में कोर्ट द्वारा ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजे गए मोहसिन खान को इलाज मुहैया नहीं कराया। उसे जेल में पिटवाया। जेल में दाखिले के वक्त के सीसीटीवी फुटेज कोर्ट को मुहैया नहीं कराए। टीआई वर्तमान में टीटी नगर से थाना मिसरोद में प्रभारी है। वही जेलर आलोक बाजपेई भोपाल से इंदौर जेल में पदस्थ है। मुरली, चिरोंजी लाल, दिनेश खजुरिया, डी एल यादव पदोन्नत होकर भोपाल में ही पदस्थ हैं।