रफीक खान
मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार के कार्यकाल में प्रशासनिक सर्जरी से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारी, कर्मचारी के तबादलों का काम लंबे समय से टलता चला आ रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद सियासी उठा पटक और उसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते यह काम थम गया था। राज्य सरकार इस दिशा में सरकारी विभागों के प्रमुखों से चर्चा कर चुकी है तथा कभी भी 15 दिन के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित तबादला नीति के तहत राज्य भर में तैनात आला अफसरो के साथ ही मध्यम तथा मझौले किस्म के अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले भी किया जाना है।
जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि मध्य प्रदेश सरकार ने 15 दिनों के लिए तबादले से प्रतिबंध हटाने के लिए नई तबादला नीति का प्रारूप तैयार कर लिया है। जिसे मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव मंत्रियों से विचार-विमर्श करने के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा।तबादला नीति का पालन सुनिश्चित करने का दायित्व विभागीय अधिकारियों का होगा। इसके तहत IAS, IPS समेत बड़े अधिकारियों के अलावा विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का तबादला किया जा सकता है। तबादला नीति में गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता मिलेगी। नई नीति के तहत सभी विभागों को प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले करने की अनुमति रहेगी लेकिन किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे। प्रथम श्रेणी के सभी अधिकारियों के मुख्यमंत्री, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के विभागीय मंत्री और जिले के भीतर कर्मचारियों के तबादले कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होंगे। इससे पहले प्रदेश में वर्ष 2021 में तबादला नीति घोषित की गई थी, तब जुलाई में 1 माह के लिए तबादले से बैन हटाया गया था। राज्य सरकार आमतौर पर प्रतिवर्ष मई-जून में तबादलों से बैन हटाती है। इसमें अधिकतम 20% तबादले करने का अधिकार विभागीय मंत्रियों को दिया जाता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तबादलों पर बैन लग गया था। इसके चलते राज्य सरकार चुनाव कार्य में संलग्न 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर, कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत कई संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बाद नहीं कर सकती थी हालांकि इस अवधि में केवल उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले हुए जो प्रशासकीय दृष्टि से बहुत जरूरी थे। राज्य सरकार का यह निर्णय उन अधिकारी कर्मचारियों के लिए बहुत ही आवश्यक है, जो लंबे समय से अपनी मनचाही जगह पर पदस्थापना की बाट जोह रहे हैं।