रफीक खान
वक्फ संपत्तियों को हड़पने और खुर्द बुर्द करने के लिए लोग तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित वक्फ जामा मस्जिद सदर बाजार कैंट में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला, जहां किराएदार ने पहले एक दुकान किराए से ली और फिर उसे दूसरे को किराए पर दे दी। अब किराएदार उस पर पूरा कब्जा जमाने के लिए स्थाई निषेधाज्ञा का रास्ता अपना रहा था। किराएदार के किराएदार ने जब यह मामला एक याचिका के जरिए अदालत में पेश किया तो वहां सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक वक्फ जामा मस्जिद सदर बाज़ार कैंट जबलपुर वक्फ पंजीयन क्रमांक 21/288, 289 जो कि रजिस्टर्ड वक्फ सम्पति है, उक्त वक्फ के विरुद्ध सिकमी किरायेदार नासिर कुरैशी द्वारा वक्फ इंतेजामिया कमेटी सदर बाज़ार जबलपुर के विरुद्ध जबलपुर न्यायालय में प्रकरण क्रमांक आर.सी.एस ए 126/2022 प्रस्तुत करते माननीय न्यायालय से सिकमी किरायेदार के पक्ष में स्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने हेतु वक्फ कमेटी के विरुद्ध वाद दायर किया था, उक्त प्रकरण में वक्फ जामा मस्जिद सदर बाज़ार जबलपुर की ओर से प्रस्तुत आवेदन पर तर्क-वितर्क सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय ने वक्फ कमेटी के विरुद्ध प्रस्तुत प्रकरण को खारिज कर दिया। वक्फ जामा मस्जिद सदर बाज़ार कमेटी जबलपुर के अध्यक्ष अब्दुल शफीक कुरैशी ने बताया कि सदर जामा मस्जिद स्थित वक्फ सम्पति की दुकान में किरायेदार इमरान खान पिता तौकीर खान के नाम से आवंटित की गई थी परन्तु उक्त वक्फ की दुकान इमरान खान ने वक्फ अधिनियम, 1995 (संशोधित अधिनियम, 2013) एवं वक्फ परिनियमों के विरुद्ध जाकर उक्त दुकान नासिर कुरैशी को सिकमी किराये पर दे दी, सिकमी किरायेदार ने वक्फ कमेटी सहित इमरान खान व तौकीर खान के विरुद्ध ग्यारहवें व्यवहार न्यायाधीश (कनिष्ठ खण्ड), जबलपुर के न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जिसे माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के पश्चात अपना फैसला सुनाते सिकमी किरायेदार नासिर कुरैशी द्वारा दायर किये गए वाद को खारिज कर दिया। वक्फ जामा मस्जिद सदर बाज़ार जबलपुर की ओर से अधिवक्ता तकमील नासिर ने पैरवी की वहीं सिकमी किरायेदार की ओर से अधिवक्ता फुज़ैल उस्मानी एवं प्रतिवादी इमरान खान व तौकीर खान की ओर से अधिवक्ता संदेश दीक्षित ने पैरवी की।