रफीक खान
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में पदस्थ रहे तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर ए पी एस गहरवार, डिप्टी कमिश्नर विकास सोलंकी, डिप्टी रजिस्ट्रार प्रसन्न गुप्ता, खरीददार राजेंद्र पिपलिया समेत 36 लोगों पर लोकायुक्त पुलिस की विशेष स्थापना शाखा द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है। सिविक सेंटर में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामले में धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। सिविक सेंटर के प्लाटों की रजिस्ट्री में सरकार को लगाए गए चूने से संबंधित शिकायतें न सिर्फ विपक्ष ने बल्कि सत्ता पक्ष ने भी की थी। इन शिकायतों की जांच के बाद ही यह एक बड़ी कार्रवाई की गई है।
इस संबंध में जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि उज्जैन लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा को शिकायत मिली थी कि रतलाम नगर निगम में आयुक्त एपीएस गहरवार और भू-माफिया राजेंद्र पितलिया, चंदू शिवानी, रवि पिरोडिया और अन्य अधिकारियों ने मिलकर भारी भ्रष्टाचार कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है। 7 और 9 मार्च को रतलाम नगर निगम के सम्मेलन में गहरवार और उपायुक्त विकास सोलंकी के खिलाफ पार्षदों ने नाराजगी जताते हुए रजिस्ट्री और नामांकन कराने के गंभीर आरोप लगाए थे। मामले की जांच करने पर उप पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार तालान ने पाया कि एपीएस गहरवार ने अपने पद और प्रस्थिति का घोर दुरुपयोग किया। उन्होंने न तो निगम और न ही एमआईसी से मामले की सूचना दी। नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की विभिन्न धाराओं का घोर उल्लंघन किया गया। एपीएस गहरवार ने भूमाफिया राजेंद्र पितलिया से मिलकर 27 भूखंडों की रजिस्ट्री (लीज पट्टा) नियम के खिलाफ और अधिकारिता क्षेत्र से बाहर जाकर कराई। सभी को अवांछित सहयोग करते हुए भूखंडों का नामांतरण भी किया। बिना निगम, एमआईसी की अनुमति के खुद से अन्य व्यक्तियों को बेचकर लाभ उठाया और आपराधिक न्यासभंग किया। इस तरह के अपराधिकृत में नगर निगम तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की भी भरपूर सहभागिता रही है। फिलहाल 36 लोगों को चिन्हित किया गया है और आगे की विवेचना में अन्य नाम भी जोड़ने की संभावना है।