रफीक खान
जेल में सुख सुविधाओं की दरकार हर बंदी को होती है, लेकिन जिसके पास नोट नहीं उसे कोई मदद नहीं मिलती है, जबकि जिसके पास नोटों की जितनी दम रहती है उसे उतनी दमदार मदद मिल जाती है। यहां तक कि अगर आपके पास नोट है तो मादक पदार्थ भी मिलना मुश्किल काम नहीं है। शराब, गांजा, अफीम, चरस से लेकर जो आपको जेल में मंगाना हो, यहां कार्यरत कर्मचारी पहुंचा देंगे। बस भुगतान करना होगा, मुंह मांगी रकम का। यह किसी पर आरोप नहीं है बल्कि जेल में अलग-अलग समय पर पड़े छापों और जांच पड़ताल के दौरान सत्यता सामने आई है। बाकायदा विभागीय जांच के जरिए इनका पूरा परीक्षण व सत्यापन किया गया और तब जाकर जबलपुर तथा कटनी की जेल में तैनात 6 प्रहरियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि जेल विभाग में जेल प्रशासन के अलावा जिला प्रशासन भी समय-समय पर निगरानी करता रहता है। जेल की निगरानी में न्यायिक दंडअधिकारियों का भी उपयोग किया जाता है। उनकी पड़ताल के दौरान कई बार ऐसी अवांछित गतिविधियों का खुलासा होता है जो जेल में पूरी तरह प्रतिबंधित होते हैं। ऐसे ही परिस्थितियों के बीच 6 जेल प्रहरियों को अवांछित गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था। दो के विरुद्ध तो पुलिस में नारकोटिक्स एक्ट तथा अन्य धाराओं के तहत आपराधिक प्रकरण भी पंजीबद्ध कराए गए थे, बाकी चार पर भी इसी तरह के आरोप थे। विभागीय जांच प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद इन सभी को बर्खास्त करने के आदेश नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने जारी किए हैं। बर्खास्त किए गए जेल प्रहरियों में केंद्रीय जेल जबलपुर में पदस्थ जेल प्रहरी शिवप्रसाद, सुनील, रामनारायण, दिलीप माहोरे, शुभम ठाकुर एवं कटनी जेल में पदस्थ दिलदार सिंह ठाकुर शामिल है।
अब नहीं भेजा जा रहा किसी को गुनाह खाना
जबलपुर केंद्रीय जेल में एक व्यवस्था लंबे समय से संचालित हो रही थी कि जो भी नया बंदी जेल पहुंचता, उसे चार दिनों के लिए गुनाह खाना में रखा जाता था। अब यह व्यवस्था बदल गई है। व्यवस्था के अचानक बदलने के बाद चर्चा तो यह है कि नए बंदियों को तमाम तरह की सुख सुविधा उपलब्ध कराने के बदले लेनदेन करके यह लाभ प्रदान किया जा रहा है। चर्चा में जेल अधिकारी अंजू मिश्रा का नाम भी लिया जा रहा है कि उनके द्वारा बंदियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह व्यवस्था की गई है और इसके अलावा बंदियों को अस्पताल में भर्ती करने का भी खेल जेल में चल रहा है। हालांकि इस संबंध में वरिष्ठ जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है कि जहां नए बंदियों को रखा जाता था, उसे गुनाह खाना कहना ठीक नहीं है। वह एक पृथक वार्ड होता था। कुछ औपचारिकताओं के बाद में नए बंदियों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता था। भीषण गर्मी के चलते इस तरह का निर्णय लिया गया है और उन्हें तथाकथित गुनाह खाने में नहीं रखा जा रहा है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक श्री तोमर का यह भी दावा किया कि पैसों के लेनदेन लेकर या अन्य किसी तरह से किसी को कोई लाभ प्रदान नहीं किया जा रहा। बल्कि सब कुछ जेल मैनुअल के तहत संचालित हो रहा है।