सरकार को हाई कोर्ट की फटकार, कहा- बंद करो FIR दर्ज होते ही पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी, यह तरीका कतई उचित नहीं - khabarupdateindia

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सरकार को हाई कोर्ट की फटकार, कहा- बंद करो FIR दर्ज होते ही पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी, यह तरीका कतई उचित नहीं


रफीक खान
आज-कल एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि छोटी-छोटी बातों के तूल पकड़ने के बाद पुलिस अफसर पर एफआईआर दर्ज कर दी जाती है और सफेद पोश नेताओं को बचाते हुए सरकारें पुलिस अफसर पर ही पूरा ठीकरा फोड़ देना चाहती हैं। पुलिस अफसर पर एफआईआर दर्ज होते ही उन्हें न सिर्फ निलंबित बल्कि बर्खास्त करने की परंपरा भी चल पड़ी है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट High court ने इसी तरह के मामलों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए नसीहत दी है क यह प्रचलन हर हाल में बंद होना चाहिए। पुलिस अफसर को एफआईआर दर्ज होते ही बर्खास्त किया जाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता है। यह मामला भले ही पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का है लेकिन इस तरह का रवैया अन्य प्रदेशों में भी चल रहा है और निश्चित तौर पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दी गई ये नसीहत दूसरे प्रदेशों में न्याय पाने वालों के लिए नजीर साबित होगी।

जानकारी के मुताबिक पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के चलते बर्खास्तगी के बाद रिहा होने पर बहाल हुए पुलिस अधिकारियों की याचिकाओं का निपटारा करते हुए बाइज्जत बरी होने वालों को पूरा वेतन और अन्य कारणों से बरी होने वालों को आधा वेतन जारी करने का पंजाब सरकार को आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पंजाब सरकार को नसीहत दी कि एफआईआर होने पर पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए। हाईकोर्ट के समक्ष कई मामले विचाराधीन थे, जिनका एक साथ निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी की अवधि में वेतन को लेकर अहम आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस कर्मियों को ट्रायल पूरा होने तक निलंबित रखा जा सकता है। इस दौरान उसे पब्लिक डीलिंग छोड़कर कोई अन्य काम सौंपा जा सकता है। अकसर पुलिसकर्मियों के बरी होने के बाद उन्हें बर्खास्तगी की अवधि के लिए भी भुगतान करना पड़ता है। बर्खास्तगी की अवधि के दौरान इनसे कोई काम नहीं लिया जा सकता और ऐसे में भुगतान बिना किसी काम के करना पड़ता है। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन मामलों में पुलिसकर्मी बाइज्जत बरी हों, उनमें उन्हें वेतन का पूरा भुगतान किया जाना चाहिए। जिन मामलों में उन्हें बेनिफिट ऑफ डाउट या तकनीकी आधार पर बरी किया गया हो तब उन्हें बहाली के समय बर्खास्तगी की अवधि के लिए आधे वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए।