रफीक खान
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में ड्रिंक एंड ड्राइव के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें असली गुनहगारों के नाम बदलकर नकली लोगों को आरोपी बनाया गया है। यानी कि शराब पीकर वाहन चलाने वालों का नाम हटाकर मनमाने तरीके से दूसरे नाम को वहां दर्ज कर दिया गया। पुलिस के उपायुक्त यानी कि पुलिस अधीक्षक स्तर के आईपीएस अधिकारी, थाना प्रभारी, तथा अनेक सब इंस्पेक्टर्स के संगठित गिरोह ने इस कार्य को अंजाम दिया। मामला जब अदालत पहुंचा तो पूरी पोल खुल गई अदालत ने कहा इस मामले को गंभीर मानते हुए संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए। इंदौर जिला न्यायालय के न्यायाधीश जयकुमार जैन ने एमजी रोड पुलिस को आदेशित किया कि वह संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 200, 203, 218, 465, 468, 471 और 34 के तहत अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू करें।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि उक्त धाराएं संज्ञेय प्रकृति की हैं और इनमें अपराध सिद्ध होने पर सात वर्ष तक कारावास का प्रावधान है। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि इन प्रकरणों से पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न हुआ है। लसूड़िया पुलिस ने आरोपित अभिषेक सोनी के खिलाफ मोटरयान अधिनियम की धारा 185 (शराब पीकर वाहन चलाना) के तहत प्रकरण दर्ज किया था। इसमें कहा था कि आरोपित वाहन क्रमांक एमपी 11 जेडसी 5555 को शराब पीकर चला रहा था। दस्तावेजों में छेड़छाड़ की। इसमें आरोपितों का नाम काटकर दूसरे व्यक्ति का नाम लिख दिया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में यह बात भी सामने आई कि उक्त अधिनियम की धारा 185 के तहत दर्ज कई प्रकरणों में दस्तावेजों में काटा-पिटी (छेड़छाड़) की गई है। जिस व्यक्ति की ब्रीथ एनलाइजर से जांच की गई थी। बाद में उसका नाम काटकर किसी अन्य व्यक्ति का नाम लिख दिया गया। कोर्ट ने उक्त आदेश की पुलिस आयुक्त और प्रधान जिला न्यायाधीश को भी प्रेषित की है। अदालत ने इस मामले में उपायुक्त जोन-दो अभिनय विश्वकर्मा, लसूड़िया पुलिस थाना प्रभारी तारेश सोनी, एसआई राहुल डाबर, एसआई नरेंद्र जायसवाल, एसआइ महेंद्र मकाश्रे, एसआई कैलाश मर्सकोले, एएसआई राजेश जैन, आरक्षक बेनू धनगर पर एफआईआर करने के निर्देश दिए।