कांग्रेस नेता के मासूम बेटे के हत्यारों को सजा-ए-मौत, जिला अदालत ने सवा साल बाद सुनाया फैसला, एक आरोपी को किया बरी - khabarupdateindia

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कांग्रेस नेता के मासूम बेटे के हत्यारों को सजा-ए-मौत, जिला अदालत ने सवा साल बाद सुनाया फैसला, एक आरोपी को किया बरी


रफीक खान
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में फरवरी 2023 में एक कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह चौहान के मासूम बेटे हर्ष सिंह चौहान की हत्या के मामले में हत्यारों को जिला अदालत ने सजा- ए- मौत से दंडित किया है। इस मामले में एक आरोपी को बरी कर दिया गया है। यह मामला इंदौर का चर्चित मामला था और इसकी फैसले पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई थी।

बताया जाता है कि आरोपियों ने बच्चे का अपहरण करने के बाद चार करोड़ रुपए की फिरौती की मांग की थी। पिगडंबर में कांग्रेस नेता के बेटे हर्ष चौहान (6) की हत्या करने के मामले में इंदौर जिला कोर्ट ने फैसला सुनाया है। दो आरोपियों को मृत्युदंड दिया है और एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया गया है। घटना 5 फरवरी 2023 को हुई थी। कोर्ट ने मुख्य आरोपी विक्रांत और ऋतिक को फांसी की सजा सुनाई है। अन्य आरोपी हरिओम को दोषमुक्त (बरी) कर दिया है। बता दें कि हर्ष के पिता जितेंद्र चौहान कांग्रेस के नेता हैं। घटना का मास्टर माइंड ऋतिक मृत बच्चे के पिता जितेंद्र के भांजे का भांजा है। ऋतिक ने अपने दोस्त विक्रांत के साथ मिलकर जितेंद्र के बेटे हर्ष का अपहरण किया और उसकी जान ले ली। वह चार करोड़ रुपए फिरौती में चाहता था लेकिन जब पकड़ाने का डर हुआ तो अपहृत बच्चे हर्ष की हत्या कर दी। ऋतिक और विक्रांत ने बच्चे हर्ष को कार में बैठाने के बाद उसके मुंह में कपड़ा ठूंसा और टेप लगाकर उसका मुंह बंद कर मारा था। मामले में मृतक हर्ष के परिजन की तरफ से आरोपी को फांसी देने की मांग की गई थी। मां रंजना ने कहा था कि आरोपियों को फांसी होने पर ही हर्ष की आत्मा को शांति मिलेगी। वो जेल में रोटी खा रहे और हम मां-बाप रोज मर रहे हैं। कोर्ट में ऋतिक ने सहानुभूति प्राप्त करने के लिए एक कबूलनामा भी पेश किया। इसमें उसने कहा था कि “मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूं। हर्ष का अपहरण पुरानी रंजिश और फिरौती के लालच में किया था। दुर्घटनावश हर्ष की जान चली गई। पूरी घटना को मैंने अंजाम दिया है। घटना में विक्रांत ठाकुर और हरिओम वाघेला (साथी आरोपी) का कोई हाथ नहीं है। मैंने विक्रांत के नशे का आदी होने की कमजोरी का फायदा उठाया। ये बात मैं अपने पूरे होश और बिना किसी दबाव के कह रहा हूं।” इस सात पन्ने के कबूलनामे पर सरकारी वकील को शक हुआ। जांच में पता चला कि यह कबूलनामा भी ऋतिक ने खुद नहीं लिखा किसी से लिखवाया है। अदालत में सारे साक्षयों का अवलोकन और दलीलों को सुनने के बाद में उक्त फैसला दिया है। इस फैसले की समूचे मालवांचल में बड़ी शिद्दत से प्रतीक्षा की जा रही थी।