सरलीकरण के बजाय दिन-ब-दिन नई कठिनाइयां सामने आ रही है टैक्स सिस्टम में, टैक्स बार के "ज्ञान संस्कार" राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं ने खुलकर रखें अपने विचार - khabarupdateindia

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सरलीकरण के बजाय दिन-ब-दिन नई कठिनाइयां सामने आ रही है टैक्स सिस्टम में, टैक्स बार के "ज्ञान संस्कार" राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं ने खुलकर रखें अपने विचार


रफीक खान
टैक्स बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित ज्ञान संस्कार राष्ट्रीय सेमिनार में टैक्स की बारीकियां, टैक्स के सरलीकरण तथा दिन व दिन आने वाली नई कठिनाइयों पर खुलकर चर्चा की गई। देशभर से आए कर विशेषज्ञों ने अपनी बात को न सिर्फ प्रस्तुत किया बल्कि मंथन के जरिए इन बातों को राज्य तथा केंद्र सरकार तक पहुंचाने का निर्णय भी लिया गया। इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भी अपना उद्बोधन दिया। कोलकाता से आए कर विशेषज्ञ ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स निरूपित करते हुए कहा कि टैक्स डराने के लिए कतई नहीं होना चाहिए।

सेमिनार में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आगे कहा कि कर का भुगतान देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है। टैक्स चोरी सामाजिक अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए और टैक्स का सरलीकरण होना चाहिए ताकि आम लोग आसानी से इसका भुगतान कर सकें। एक दिवसीय राष्ट्रीय टैक्स संगोष्ठी में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन टैक्स अधिवक्ता, चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं कर सलाहकार की ज्ञान वृद्धि हेतु आवश्यक है। इस अवसर पर ऑल इंडिया फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण जैन उपाध्यक्ष सुधीर जानी आर डी काकरा ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रही गोष्ठी के महत्व को प्रतिपादित किया। 
अदालतों के निर्णय भी अलग-अलग
 कार्यक्रम में संगोष्ठी समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हेमंत मोड में बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 68 एवं अन्य विषय पर अरविंद शुक्ला, अरुण कुमार अग्रवाल, मितीश मोदी ने अपने विचार रखे। कोलकाता से आए कर विशेषज्ञ अरुण अग्रवाल ने संगोष्ठी महत्वपूर्ण उद्गार देते हुए कहा कि जीएसटी गब्बर सिंह टैक्स के रूप में वर्णित होता जा रहा है क्योंकि किसी भी कर कानून आम लोगों के लिए उसका सरलीकरण होना आवश्यक है। परंतु दिन प्रतिदिन टैक्स प्रक्रिया में नई-नई कठिनाइयां कर सलाहकार एवं करदाताओं को हो रही है। जिसका निदान आवश्यक हो गया है। कर कानून के संबंध में विभिन्न उच्च न्यायालय के न्याय निर्णय भी अलग-अलग है, जिससे कर समस्याओं के न्यायिक निराकरण में भी भिन्नता हो रही है। कार्यक्रम में वरिष्ठ कर अधिवक्ता गणेश पुरोहित, पूनम जैन, एस एस ठाकुर, सुमित नेमा, राजीव नेमा, एम एम नेमा, के के केसरवानी, अजय नेमा, देवांग बविषि, विशुद्ध जैन, संजय नेमा, संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा, अभिषेक ध्यानी, अशोक बलानी के साथ भोपाल, कटनी, रीवा, सिंगरौली, दमोह, जूनागढ़, जयपुर, बनारस, कोलकाता एवं देश के विभिन्न स्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन मनोज जैन एवं प्रकाश नेमा ने किया । एस एस ठाकुर ने सभी प्रतिनिधियों एवं आमंत्रित पदाधिकारी का आभार व्यक्त किया।