रफीक खान
महिला सहकर्मी से दुष्कर्म और ब्लैकमेल करने के आरोप में जबलपुर की नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में निरुद्ध रेल अधिकारी CWI विनोद कोरी की जमानत अर्जी सेशन कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है। जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान रेलवे में पदस्थ सहकर्मी अर्थात पीड़िता की ओर से उनके वकील ने जोरदार आपत्ति दर्ज कराई। पीड़िता के वकील के तर्कों से सहमत होकर सेशन कोर्ट द्वारा जमानत अर्जी को खारिज करने का आदेश पारित किया गया।
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि WCR में बतौर CWI विनोद कोरी पर उनकी सहकर्मी महिला ने आरोप लगाया था कि उक्त अधिकारी ने उनके साथ दुष्कर्म किया और बाद में ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। मामले की रिपोर्ट बरेला थाने में की गई थी। जिस पर बरेला पुलिस ने कार्यवाही करते हुए विनोद कोरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। आठवीं सत्र न्यायाधीश सुश्री निशा विश्वकर्मा की अदालत में विनोद कोरी की तरफ से जमानत याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिस पर आपत्ति करते हुए पीड़ित महिला की ओर से युवा अधिवक्ता निखिल भट्ट ने अदालत को बताया कि आरोपी एक सीनियर रेलवे अधिकारी है और पीड़ित महिला को उसी की अनुशंसा पर रेलवे में क्लर्क के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गयी थी, अगर उन्हें जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके द्वारा पीड़िता के ऊपर दबाव बनाया जा सकता है। अधिवक्ता निखिल भट्ट ने कोर्ट के समक्ष यह दलील भी पेश की कि चूंकि आरोपी एक अधिकारी है, अतः वह अपने प्रभाव का उपयोग कर कर सबूतों में भी फेरबदल और इन्वेस्टीगेशन को प्रभावित कर सकता है। दलीलों से सहमत होने हुए न्यायालय ने विनोद कोरी की जमानत अर्जी को नामंजूर कर दिया।