रफीक खान
सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में पीएमएलए मामलों में गिरफ्तारी के अधिकारों के लिए दिशा निर्देश निर्धारित किए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग जैसे महत्वपूर्ण मामलों में देश भर में हो रही गिरफ्तारियो के मद्देनजर यह फैसला बड़ा अहम वा कारगर साबित होगा। इस आदेश में मुख्य तौर पर कहा गया है कि यदि किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी चार्ज शीट पेश करने के पूर्व तक नहीं हुई है तो उसकी गिरफ्तारी सिर्फ चालान पेश करने के आधार पर नहीं की जा सकेगी।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के युवा अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सुको के जस्टिस ए. एस. ओका और जस्टिस उज्ज्यल भुयान की युगल पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले के माध्यम से यह निश्चित किया है कि अगर प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच के दौरान किसी भी अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं की जाती है तो चार्जशीट प्रस्तुत होने के पश्चात उसको मात्र इसलिए नहीं गिरफ्तार किया जाएगा की कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया जा रहा है। उस पर धारा 45 की दुई (दो) शर्ती प्रावधान लागू नहीं होगा। यह फैसला लगभग 15 प्रकरणों में आया, जिनमें चंडीगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय के आदेशो के विरुद्ध अभियुक्तगण द्वारा अपीलीय याचिका दायर की गयी थी। मध्य प्रदेश सम्बन्धी प्रकरणों में अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलालगुप्ता ने अभियुक्तगण की और से पैरवी करते हुए बेहतरीन दलीलें प्रस्तुत की।
जमानत के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान
P.M.L.A. की धारा 45 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को अगर जमानत प्राप्त करनी है तो उसे दो शर्तो पर न्यायलय को संतुस्ट करना पढ़ेगा - प्रथम, की वह मनी लॉन्डरिंग के अपराध में प्रथमतया लिप्त नहीं है और दूसरा की विशेष लोक अभियोजक को बिना सुने जमानत आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकेगा। न्यायालय ने अपने विस्कृत फैसले के द्वारा यह निर्धारित किया की जांच के बाद धारा 44 में चालान प्रस्तुत करने पर धारा 45 की दुई (दो) शर्तो की बाध्यता नहीं रहेगी एवं ऐसी परिस्थिति में अभियुक्त को तभी गिरफ्तार किया जा सकेगा जब स्वयं विशेष न्यायालय को गिरफ़्तारी कर उससे न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत करने की अव्यश्कता प्रतीत होती है, अन्यथा नहीं। पूर्व में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन घोटाले सम्बन्धी मामलों में जमानत याचिकाएं ख़ारिज करते हुए पूर्वे में कहा था की अभियुक्त द्वारा धारा 45 केअंतर्गत निहित दोनों शर्तो का पालन नहीं किया गया, जिस कारण उनको जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता, इसके विरुद्ध सुको में अपील दायर हुई, जिसपर 1 मई को न्यायलय द्वारा विस्कृत सुनवाई कर अंतिम फैसले हेतु सुरक्षित रख लिया गया था।