बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की कोर्ट में निकली हवा, श्वेता - आरती समेत सभी आरोपी हुए बरी, अभियोजन पर बड़ा सवाल? - khabarupdateindia

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बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की कोर्ट में निकली हवा, श्वेता - आरती समेत सभी आरोपी हुए बरी, अभियोजन पर बड़ा सवाल?



रफीक खान
मध्य प्रदेश का बहुचर्चित हनी ट्रैप मामला मीडिया में तो सालों साल खूब सुर्खियां बटोरता रहा लेकिन जब यह मामला कोर्ट पहुंचा और अंतिम पड़ाव पर आया तो उसकी हवा निकल गई। यानी कि अभियोजन पक्ष द्वारा बनाए गए सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया। एक ऐसा मामला जो पूरे प्रदेश की जुबान पर रट सा चुका हो, वह कोर्ट में इतनी बुरी तरह से अगर निपट जाए तो अभियोजन पक्ष पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है। श्वेता व आरती समेत मामले के सभी आरोपियों को हनी ट्रैप मानव तस्करी जैसे आरोपो से मुक्त कर दिया गया है। निश्चित तौर पर यह मामला जिस तरह से फुस्स हुआ है, अभियोजन विभाग और पोलिस अफसरों द्वारा इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि फ़रियादी की ओर से CID ने एफआईआर दर्ज की थी। विजय जैन, श्वेता स्वप्निल, आरती दयाल, अभिषेक ने फरियादि युवती का कई महत्वपूर्ण लोगों से शोषण करवाया। इस मामले में ट्रायल के दौरान कोर्ट ने चार्ज के स्तर पर आरोपी श्वेता स्वप्निल जैन को बरी किया था। मामले में गवाही के दौरान फरियादी जो कि खुद भी हनी ट्रैप केस में आरोपी है, उज्जैन जेल से भोपाल में बुलाकर कोर्ट ने गवाही ली थी। तब फरियादी ने सभी आरोपियों के खिलाफ बयान दिए थे और कहा था कि इन सभी ने मिलकर उसका महत्वपूर्ण लोगों का राजनेताओं से शोषण करवाया है। लेकिन हनी ट्रैप केस में फरियादी की जब जमानत हो गई। जमानत के बाद उसने कोर्ट में आकर फिर बयान दिए कि उसके साथ किसी ने कोई शोषण नहीं किया है। कोर्ट में बताया गया कि पुलिस के दबाव में पहले उनके खिलाफ बोला था। सभी गवाहों के कथन लेख करने के बाद अपर जिला सत्र न्यायाधीश पल्लवी द्विवेदी ने सभी आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है 17 सितंबर 2019 को जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, तब हनी ट्रैप कांड सामने आया था। इंदौर में नगर निगम के तत्कालीन इंजीनियर रहे हरभजन सिंह ने इंदौर के पलासिया पुलिस थाने में ब्लैकमेलिंग की शिकायत की थी। उसके बाद हनी ट्रैप की परतें खुलनी शुरू हुई थी। हनी ट्रैप का यह मामला मध्य प्रदेश की सियासत में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के ही नाक का बाल बना रहा। आरोप प्रत्यारोप के बीच पेन ड्राइव का शिगूफा भी खूब गुल खिलाता रहा। बड़े स्तर पर ब्लैकमेलिंग का दौर भी जमकर चला लेकिन अपने को बचकर निकलने वालों ने कभी इसकी शिकायत सार्वजनिक रूप से नहीं की।