रफीक खान
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर रवि माली मठ ने अपने विदाई समारोह के दौरान भाषण कुछ अलग ही अंदाज में दिया। ऐसा लग रहा था कि विदाई के दौरान उनके मन में टीस का अंबार है और वह उसे निकालना चाहते हैं। पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि उनके बहुत सारे दुश्मन है, जिन्होंने करियर को चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि उन्होंने संविधान की सेवा की है। वह किसी मंडली में कभी शामिल नहीं हुए। अपने दुश्मनों को कभी भूल भी नहीं पाएंगे। संभवत: यह पहला अवसर है जब किसी चीफ जस्टिस के विदाई समारोह में अधिवक्ताओं ने ही बहिष्कार कर दिया। कुछ चुनिंदा अधिवक्ताओं, महाधिवक्ता को छोड़कर मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल के आवाहन पर और कोई भी अधिवक्ता कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जाता है कि रिटायर चीफ जस्टिस ने अपने भाषण में आगे कहा कि अक्टूबर 2021 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस नियुक्त होने से पहले, न्यायमूर्ति मलिमथ जुलाई 2021 से अक्टूबर 2021 तक हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने जुलाई 2020 से जनवरी 2021 तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया था। उन्हें जनवरी 1987 में बेंगलुरु में एक वकील के रूप में नामांकित किया गया था, और उन्होंने मुख्य रूप से कर्नाटक उच्च न्यायालय में संवैधानिक, दीवानी, आपराधिक, श्रम और सेवा मामलों से प्रैक्टिस शुरू की थी। पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे कर्नाटक से उत्तराखंड स्थानांतरित कर वहां मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था, लेकिन मैं वहां मुख्य न्यायाधीश नहीं बना। फिर मुझे उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश स्थानांतरित कर वहां मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। मैं वहां मुख्य न्यायाधीश नहीं बना। फिर मुझे अंततः मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। इन तबादलों से मुझे झटका लगने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शायराना अंदाज में भी पूर्व चीफ जस्टिस अपने दुश्मनों और अपनी न्याय यात्रा में बाधक बनने वालों पर ही निशाना साधते नजर आए। हाई कोर्ट परिसर अकेले नहीं बल्कि न्याय क्षेत्र में उनकी रिटायरमेंट भाषण के दौरान उभर कर सामने आई भावनाओं की चर्चाएं सरगर्म है।