रफीक खान
आमतौर पर धार्मिक स्थलों में विशेष अवसरों पर व्यवस्था के लिए थोड़ी बहुत पुलिस लगा दी जाती है लेकिन अगर कहीं बड़ी तादाद में पुलिस पहुंच जाए तो स्वाभाविक तौर पर कौतूहल का विषय बन जाता है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित हजरत दाता कंबल शाह रहमतुल्ला अलेह की मजार पर बीती रात अचानक भारी लाव लश्कर के साथ पुलिस अधिकारी जा पहुंचे। यह देखकर वहां तमाशबीनो का भी बड़ा मजमा लग गया। हालांकि जो लोग पुलिस के आने का सबब जानते थे, उन्हें पहले से ही सब कुछ पता था। मजार शरीफ पर पहुंची पुलिस ने बाकायदा आदर और श्रद्धा के साथ गुलपोशी, चादरपोशी की और उसके बाद फातिहा व लंगर का भी तकसीम किया गया।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में दाता कंबल शाह रहमतुल्लाह अलैह की मजार शरीफ मुजफ्फरपुर जिले के एसएसपी राकेश कुमार, सिटी एसपी अवधेश दीक्षित, टाउन एएसपी भानु प्रताप सिंह, नगर थाना अध्यक्ष विजय कुमार सहित नगर थाना के दो सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी पहुंच गए थे। हर साल की तरह इस साल भी मुजफ्फरपुर में दाता कंबल शाह के 121वें उर्स के अवसर पर दाता कंबल शाह रहमतुल्लाह अलैह के मजार शरीफ पर नगर थाना द्वारा गाजे-बाजे के साथ चादरपोशी की गई। लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता के कारण शांत माहौल में चादर निकाली गई। मोतीझील, कल्याणी, अमर सिनेमा चौक होते हुए जुलूस कन्हौली नाका पहुंचा। यहां से चतुर्भुज स्थान चौक होते हुए दाता के मजार पर पहुंचा। पुलिसकर्मियों ने दाता के दर पर माथा टेक अमन व शांति की दुआ मांगी। गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर के नगर थाना से हर साल मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा चादरपोशी की जाती है। अंग्रेजों के जमाने से ये परम्परा चली आ रही है, जिसमें ये नियम है कि जिला के एसपी द्वारा चादरपोशी की जाती है। इसमें नगर थाना की पुलिस शामिल होती है।
ऐसी है अंग्रेजों के समय से मान्यता
कहा जाता है कि मान्यता है कि एक बार दाता शाह नगर थाने के पास सड़क पर पेशाब कर रहे थे। उसी समय अंग्रेज लार्ड की सवारी आ गई। लार्ड ने दाता पर कोड़े चलाए, मगर उसका हाथ हवा में ही उठा रह गया। बाद में दाता ने सरकारी कुत्ते-विदेशी डॉग कहते हुए कहा कि अपने देश की हिफाजत कर नहीं सकते, हमारे देश पर हुकूमत करने आए हो। उनके यह कहने पर कि इंग्लैंड सचिवालय में लगी भीषण आग को मैं पेशाब से बुझा रहा हूं। लार्ड ने जब अपने देश में संपर्क साधा तो उसे बताया गया कि भीषण आग को पानी की मोटी धार घूम-घूम कर बुझा रही है। पानी कहां से आ रहा है, इसका पता नहीं चल रहा है। इतना ही नहीं बाद में दाता के आशीर्वाद से उसे संतान रत्न की भी प्राप्ति हुई। इसके बाद से ही हर वर्ष दाता कंबल शाह चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया जाता है।