रफीक खान
सरकार ने व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए जिस तंत्र की स्थापना की थी, वह इतना अधिक भ्रष्ट हो चुका है कि अब खुद ही सारे गड़बड़झालो में सीधे तौर पर संलिप्त होकर सामने आ रहा है। गड़बड़ियां और कमियों को उजागर करने का जिम्मा जिन अधिकारियों को दिया गया, वह खुद अपने संरक्षण और अपनी हिकमतों से गड़बड़-घोटाला में भागीदारी कर रहे हैं। एक बार फिर मध्य प्रदेश के जबलपुर में वेयरहाउस की गड़बड़ी सामने आना शुरू हो गई है। इस बार बरगी विधायक ने राघव वेयरहाउस की पोल खोलते हुए पूरे तंत्र को उजागर कर दिया है। जबलपुर से लेकर भोपाल तक के अधिकारी किस तरह से वेयरहाउसों को नोट तैयार करने की मशीन बना रहे हैं? यह सामने आया है। चौतरफा अधिकारियों की इस भूमिका पर लोग थू-थू कर रहे हैं। कलेक्टर ने आनन - फानन में कई जिम्मेदारों को सस्पेंड कर दिया है तथा कई को सस्पेंड करने के लिए प्रस्ताव भोपाल भेज दिया है।
जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि धान खरीदी में गड़बड़ी करने के बाद 36 वेयरहाउस सील कर दिए गए बावजूद इसके वेयरहाउस में गड़बड़ी नहीं रुकी। गेहूं खरीदी में भी वेयरहाउस संचालक और सोसायटी गड़बड़ी कर रही हैं, लेकिन जांच करने वाले जिम्मेदार अधिकारी शांत हैं। शहपुरा में किसानों की शिकायत के बाद वेयरहाउस की जांच करने बरगी विधायक, प्रशासनिक अमले को लेकर जांच करने यहां पहुंचे। इस दौरान राधाराघव वेयरहाउस में बड़ी मात्रा में साफ गेहूं के बीच कई टन सड़ा गेहूं रखवा मिला। इसके बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में एडीएम, एसडीयू समेत आला अधिकारी जांच करने पहुंचे। इसी वेयर हाउस का निरीक्षण फूड कंट्रोलर नदीमा शीरी और डीएमओ अर्पित तिवारी किया गया था। जांच में दोनों ने वेयरहाउस को क्लीन चिट भी दी दी। राघव वेयरहाउस चरगंवा के पास शाहपुरा का आकस्मिक निरीक्षण करने बरगी विधायक, तहसीलदार रविंद्र पटेल के साथ पहुंचे। इस दौरान पुराना, घुना हुआ और नान एफएक्यू गेहूं स्टैक्स लगाकर भंडारित किया जाना पाया गया। यह गेहूं सूखा भरतपुर सहकारी समिति द्वारा समर्थन मूल्य पर कथित किसानों से ख़रीदा गया है। दस्तावेजों की जांच में पता चला कि कुल 212 किसानों से 25800 क्विंटल की ख़रीदी हुई। इसमें लगभग 20 हजार क्विंटल की स्वीकृति उपार्जन एजेंसी मार्कफेड द्वारा जारी की गई। जिसका कुल भुगतान छह करोड़ 19 लाख में से 4 करोड़ 56 लाख का किया गया।
1. निरीक्षण के दौरान पुराना, घुना हुआ और Non FAQ गेहूँ स्टैक्स लगाकर कर भंडारित किया जाना पाया गया. उक्त गेहूँ सूखा भरतपुर सहकारी समिति द्वारा समर्थन मूल्य पर कथित किसानों से ख़रीदा गया है।
3. कुल 212 किसानों से 25800 क्विंटल की ख़रीदी दर्ज की गई. लगभग 20,000 क्विंटल की acceptance उपार्जन एजेंसी Markfed द्वारा जारी की गई है. जिसके आधार पर कुल भुगतान राशि 6.19 करोड़ के विरूद्ध 4.56 करोड़ का भुगतान हो चुका है।
4. प्राथमिक जाँच में कुल 13 स्टैक्स में से 2 स्टैक्स में अंदर की लेयर में पुराना, घुना हुआ और Non FAQ गेहूँ पाया गया है. अन्य स्टैक्स में भी ख़राब गेहूँ भंडारित होने की आशंका है।
5. ख़रीदी घपले में समिति प्रबंधक राकेश नंदेसरिया, खरीदी केंद्र प्रभारी भूपेंद्र सिंह पटेल, अभिषेक दीक्षित वेयरहाउस संचालक, आपरेटर सृंजल जैन, सर्वेयर प्रवीण रजक और शुभम शर्मा की संलिप्तता प्रथम दृष्ट्या पाई गई है।
6. गेहूँ ख़रीदी घपले में कथित संलिप्तता और लापरवाही के लिये निम्नलिखित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
* नोडल अधिकारी- रघुनाथ कुदौलिया सहकारिता निरीक्षक
* JSO - सुश्री भावना तिवारी एवं कुन्जम सिंह राजपूत
* शाखा प्रबंधक MPWLC - प्रियंका पठारिया को निलंबित करने का प्रस्ताव MD WLC को प्रेषित किया जा रहा है. इनका कहना है घटना की जानकारी लगने के बाद मौक़े पर ADM, DSC और SDM द्वारा जाँच कार्रवाई जारी है।