मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर कैलाश विजयवर्गीय पर ऐन लोकसभा चुनाव 2024 के बीच एफआईआर की तलवार आ लटकी है। दरअसल एक लंबित मामले में सुनवाई ना होने के कारण पीड़ित पुलिस थाने से हटकर हाई कोर्ट के दरवाजे जा पहुंचा। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और उसे पर आदेश जारी करते हुए कहा कि इस प्रकरण पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए 90 दिन में निराकृत किया जाए
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के कथित फर्जी वीडियो जारी कर भड़काऊ बयान देने के मामले में शिकायत के बाद विजयवर्गीय पर पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं। खरगोन जिले में 10 अप्रैल 2022 में रामनवमी पर हिंसा के समय कैलाश ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी किया था। उसे खरगोन का बताकर अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी की। कांग्रेस नेता डॉ. अमीनुलखान सूरी ने 16 अप्रैल 2022 को तिलकनगर थाने में शिकायत की। आरोप था, कैलाश ने तेलंगाना के वीडियो को खरगोन का बताया। कैलाश ने इसका जो कैप्शन दिया, वह अल्पसंख्यकों को भड़काने व शांतिभंग करने वाला है। पुलिस ने शिकायत के सालभर बाद भी केस दर्ज नहीं किया तो सूरी हाईकोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने तिलकनगर टीआई को 90 दिन में उचित कार्रवाई के आदेश दिए। खरगोन की इसी हिंसा को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ भी पुलिस ने भोपाल, ग्वालियर, नर्मदापुरम, जबलपुर, सतना, इंदौर, बैतूल आदि जिलों में 9 केस दर्ज किए। तब दिग्विजय ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला था, जिसका कैप्शन था कि क्या खरगोन प्रशासन ने हथियारों के साथ जुलूस निकालने की इजाजत दी थी? सिंह के खिलाफ इस वीडियो की शिकायतों में इसे बिहार का बताया गया था। इस तरह एक ही घटनाक्रम के दो पक्षों में, दो अलग-अलग शिकायतों के तहत एक पर तो एक्शन हो गया लेकिन दूसरे पर सत्ता के दबाव के चलते पुलिस की हिम्मत नहीं हुई कि वह प्रकरण पंजीबद्ध कर सके।