भारत की राजनीति भी एक अलग परिदृश्य में जा पहुंची है। खरीद फरोख्त का इतना अधिक बोलबाला हो गया है कि खास तौर से कांग्रेस के नेता कब और कहां किस रूप में साथ छोड़ दें, यह कहा नहीं जा सकता है। इंदौर लोकसभा सीट के लिए मौजूदा सांसद शंकर लालवानी के मुकाबले कांग्रेस पार्टी ने अक्षय कांति बम नाम के प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। कांग्रेस पार्टी को बड़ा भरोसा था और आमजन भी कयास लगा रहा था कि निश्चित तौर पर कांग्रेस का यह बम भाजपा के उम्मीदवार को अच्छी खासी अलसेट देगा। लेकिन शायद ही कांग्रेस का कोई नेता जानता होगा कि नाम वापसी के आखिरी दिन भारतीय जनता पार्टी उनके इस तथाकथित बम को फोड़ देगी?? बम भी इस तरह से फोड़ा गया कि पूरी की पूरी कांग्रेस आहत हो गई। अक्षय कांति बम का तूफानी जनसंपर्क के दौरान अचानक कांग्रेस पार्टी से मोह भंग होने के पीछे क्या कारण है? यह वही भली भांति जानते हैं। लेकिन बहुत सारे कारणों को सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स में गिनाया जाने लगा है।
इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस लेने के बाद कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा की सदस्यता ले ली है। इसे कांग्रेस के लिए दूसरा बड़ा झटका इसलिए भी कहा जा रहा है कि, चौथे चरण के मतदान के लिए नामांकन की समय सीमा समाप्त होने की आखिरी तारीख है। ऐसे में अब इस सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवारी ही खत्म हो गई है। इधर अक्षय ने कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली है। उन्होंने इंदौर में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भाजपा कार्यालय पहुंचकर पार्टी ज्वाइन की है। अक्षय कांति बम मौजूदा भाजपा विधायक रमेश मंडोला के साथ डीसी दफ्तर पहुंचे और अपना नामांकन वापस ले लिया। बम का यह फैसला कांग्रेस के लिए बेहद चौंकाने वाला है। जिला निर्वाचन अधिकारी आशीष सिंह ने कहा कि इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है।
10 मई को कोर्ट में हाजिर होना है
कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम के 17 साल पुराने एक केस में पुलिस ने नामांकन वाले दिन हत्या के प्रयास की धारा जोड़ी थी। भाजपा ने इस आधार पर बम का नामांकन खारिज करने की मांग की थी कि अक्षय ने शपथ पत्र में इसका उल्लेख नहीं किया है। लेकिन, जिला निर्वाचन अधिकारी आशीष सिंह ने भाजपा की आपत्ति को खारिज कर दिया था।इस मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी कांग्रेस उम्मीदवार के वकीलों द्वारा दिए गए तर्क से सहमत थे। इस मामले में बम को 10 मई को कोर्ट में हाजिर होना है।
हमें अभी और भी ऐसी घटनाएं देखनी है
इंदौर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के नाम वापसी और भाजपा ज्वाइन करने के मामले में कांग्रेस मीडिया प्रभारी मुकेश नायक की प्रतिक्रिया सामने आई है। नायक ने कहा कि हमारा संघर्ष षड्यंत्रकारी और एकाधिकार वाली पार्टी से है। हमें अभी और भी ऐसी घटनाएं देखनी है। भाजपा से हमारा संघर्ष है। थोड़े बहुत आस्तीन के सांप और बचे हुए हैं, यह निकल जाएं तो पूरा विष निकल जाएगा।
एक होटल में बैठकर प्लान बनाया
सूत्रों के मुताबिक एक होटल में बैठकर प्लान बनाया गया था। अक्षय बम कलेक्टर आशीष सिंह से मिले, उनके साथ भाजपा विधायक रमेश मेंदोला और अन्य नेता भी शामिल थे। हाल ही में गुजरात में जो घटनाक्रम हुआ, वैसा ही नजारा इंदौर में भी देखने को मिल रहा है। कैलाश विजयवर्गीय ने अक्षय बम के साथ सेल्फी शेयर करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा है। इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा में स्वागत है। अक्षय बम ने हलफनामे में कुल 57 करोड़ की प्रापर्टी बताई थी। खास बात यह है कि कांग्रेस उम्मीदवार के पास कोई कार नहीं है, जबकि वे 14 लाख रुपए की घड़ी पहनते हैं।इससे कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट पर भी खेल हुआ था। यहां कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए एकमात्र सीट छोड़ी थी। यहां से सपा ने पहले मनोज यादव को टिकट दिया था। उसके बाद अचानक टिकट बदलकर मीरा यादव को दे दिया। खजुराहो सीट से भाजपा ने इस बार भी प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा को मैदान में उतारा है। बात करें मीरा यादव की तो यहां भी बड़ा खेल खेला गया। जब मीरा दीपक यादव ने पर्चा दाखिल किया, तो अंतिम दिवस अचानक उनका पर्चा खारिज हो गया। बताया गया था कि मतदाता सूची में नाम को लेकर वोटर लिस्ट की प्रमाणित कापी संलग्न नहीं की गई थी. इस पर पन्ना जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेश कुमार ने फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया था।
इंदौर में कांग्रेस डैमेज कंट्रोल के चलते कुछ भी कवायत कर ले, यह बेमानी और बे मकसद साबित होगी। वजह यह है कि पार्टी को जिसने सिपाही बताया, जिसके नाम पर दांव लगाया, वही बम कांग्रेस के लिए फुस्सी साबित हो गया। तब फिर निर्दलीयों को किसी तरह का साथ देना या उनसे हाथ मिलाना निरर्थक ही साबित होगा।