रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले का एक अनूठा मामला हाई कोर्ट पहुंचा। यहां आरोप है कि कला निकेतन पॉलिटेक्निक कॉलेज जबलपुर के प्राचार्य डॉक्टर रामचंद्र पांडे द्वारा जबलपुर में पदस्थ रहे तीन कलेक्टरों के फर्जी साइन करते हुए पत्राचार किया गया है। प्राचार्य द्वारा पूर्व में जांच करवाई पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था लेकिन अब जब मामला हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए जस्टिस विशाल धगट के सामने पहुंचा तो उन्होंने प्राचार्य रामचंद्र पांडे की याचिका निरस्त कर दी। जस्टिस विशाल धगट ने कहा कि पुलिस को यह स्वतंत्रता है कि वह मामले में संज्ञान लेकर जांच पूरी करें। प्रारंभिक जांच में यदि संज्ञेय अपराध बनता है तो पुलिस एफआईआर दर्ज करें तथा जो भी आवश्यक कार्रवाई हो पुलिस कर सकती है। किसी भी ऐसे मामले की जांच को रोकना उचित नहीं है।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि जबलपुर निवासी डा. रामचंद्र पांडे ने वर्ष 2022 में याचिका दायर कर कलेक्टर द्वारा एसपी को उक्त मामले में दिए जांच के आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल, पूर्व कलेक्टर टी इलैयाराजा ने एसपी को फर्जी हस्ताक्षर मामले की जांच करने एसपी को पत्र लिखा था। एसपी ने जांच स्पेशल ब्रांच को सौंप दी थी। डा. पांडे ने पूर्व में यह कहकर जांच पर अंतरिम रोक ले ली थी कि पहले जांच हो चुकी है। प्राचार्य की याचिका लंबित रहने के दौरान कालेज की प्राध्यापक श्रीमती राखी ठाकुर ने हस्तक्षेप याचिका पेश की। उनकी ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि राखी ने प्राचार्य को आवेदन दिया था कि पीएचडी पूरी होने पर उनकी वेतनवृद्धि की जाए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पिछले सात सालों से राखी वेतनवृद्धि पाने भटक रही है। स्वशासी कालेज की गवर्निंग बाडी का चेयरमैन कलेक्टर होता है। प्राचार्य ने पूर्व कलेक्टर छवि भारद्वाज के हस्ताक्षरयुक्त एक पत्र राखी को यह कहते हुए दिया कि उनका क्लेम रिजेक्ट हो गया है। इसी तरह दो अन्य कलेक्टर के पत्र भी राखी को दिए गए। राखी ने अपने स्तर पर जांच कराई तो तीनों पत्र फर्जी पाए गए। इस पर राखी ने तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराज टी से इसकी शिकायत की। कलेक्टर ने पांच अगस्त, 2022 को एसपी को पत्र लिखकर इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट के उक्त आदेश से पुलिस जांच की राह प्रशस्त हो गई है। अब पुलिस इस मामले की स्वतंत्रता के साथ जांच करेगी।