रफीक खान
कहने को तो विधानसभा चुनावों के बाद MP में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटकर अन्यत्र शिफ्ट किए जाने की घटना सामान्य है लेकिन डॉक्टर मोहन यादव की ताजपोशी के बाद शिवराज के अति विश्वसनीय रहे अफसरो पर चुन चुनकर लगातार निशाना साधा जा रहा है। अब शिवराज सिंह चौहान सरकार में बार-बार एक्सटेंशन पाकर कुर्सी पर बैठे रहे पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। इकबाल के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है तो वहीं आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू ने उन्हें आरोपी बनाने की अनुमति सामान्य प्रशासन विभाग से मांगी है। ईडब्लू ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल के अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अशोक शाह, ग्रामीण एवं पंचायत विभाग के तत्कालीन एक्स मनोज कुमार श्रीवास्तव तथा आजीविका मिशन के तत्कालीन राज्य प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल को भी आरोपी बनाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेज दिया है। 6 दिन पूर्व ED ने भी इकबाल सिंह के घर पर दबिश दी थी। इस दबिश को पूरी तरह छुपाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि बहुचर्चित उज्जैन हवाई पट्टी घोटाले में नई सरकार के आने के बाद नए सिरे से पड़ताल शुरू हुई है। इस बार जांच के दायरे में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का भी नाम आया है। आर्थिक अपराध के इस मामले में उन्हें आरोपी बनाने का आधार तैयार हो चुका है। उज्जैन के देवास रोड पर दताना-मताना हवाई पट्टी है। लोकायुक्त संगठन ने इस हवाई पट्टी की लीज और पार्किंग शुल्क में आर्थिक गड़बड़ी का मामला दर्ज किया हुआ है। कुछ आइएएस अफसर इस केस में पहले से ही आरोपी हैं। इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त होने के बाद केस की फाइल पर पड़ी धूल हटाई गई तो घोटाले के रनवे पर नया नाम उभर आया। सरकार ने यह हवाई पट्टी 2006 में यश एयरवेज और सेंटॉर एविएशन एकेडमी इंदौर को लीज पर दी थी। राज्य सरकार और कंपनी के बीच 7 साल के लिए अनुबंध हुआ था। दो वर्ष बाद ही इसकी लीज अवधि को 10 वर्ष कर दिया गया। लोकायुक्त संगठन ने इस समय वृद्धि को अनुचित माना है। अवधि बढ़ाने का आदेश तत्कालीन विमानन सचिव इकबाल सिंह बैस ने किया। यश एयरवेज को नाइट पार्किंग के लिए 5 हजार 700 किलो वजनी विमानों के लिए 100 रुपए चुकाने थे। इससे ज्यादा वजनी विमानों के लिए यह चार्ज 200 रुपए था, लेकिन कंपनी ने यह रकम सरकार को नहीं दी। वर्ष 2016 में अनुबंध समाप्त हो गया और कंपनी से पार्किंग शुल्क की वसूली तय हुई। तब 10 मई 2021 को केबिनेट में प्रस्ताव लाकर पार्किंग शुल्क माफ किया गया। यह प्रस्ताव बतौर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस न रखा। लोकायुक्त संगठन ने माना है कि कोई भी प्रस्ताव भूतलक्षी (समय निकल जाने के बाद) प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है। केबिनेट से यह प्रस्ताव छलपूर्वक मंजूर करवाया गया।