रफीक खान
मध्य प्रदेश में पुलिस विभाग द्वारा संचालित होने वाले परिवार परामर्श केंद्रों तथा महिला हेल्पलाइन को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा) ADGP प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। यह आदेश भोपाल तथा इंदौर के पुलिस कमिश्नरों के अलावा प्रदेश भर के जिला पुलिस अधीक्षक तथा SRP को भी अमल करने के लिए निर्देशित किया गया है। आदेश में कहा गया है कि स्वाधार गृह योजना के अंतर्गत पुलिस विभाग द्वारा परिवार परामर्श केंद्र तथा हेल्पलाइन संचालित की जाती थी लेकिन इसको बंद करने के निर्देश भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में दिए गए थे। मध्य प्रदेश में इस पर अमल नहीं किया गया और मामला हाई कोर्ट तक जा पहुंचा। रीवा जिले की निवासी महिला हेल्पलाइन कर्मी राखी खरे द्वारा दायर रिट पिटिशन का हवाला देते हुए पुनः यह आदेश जारी किया गया है।
बताया जाता है कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव द्वारा जारी आदेश में उल्लेखित है कि प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश शासन महिला एवं बाल विकास द्वारा पूर्व में इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। आदेश में बताया गया था कि 1 अप्रैल 2015 से हर हाल में परिवार परामर्श केंद्र तथा महिला हेल्पलाइन को बंद कर दिया जाए। सुवाधार योजना भारत सरकार द्वारा 11 मार्च 2015 को बंद कर दी गई थी। इसके बावजूद रीवा जिले में पुलिस परिवार परामर्श केंद्र तथा हेल्पलाइन में अवैधानिक रूप से मानसेवी काउंसलर्स को निरंतर रखे जाने एवं उनके द्वारा लंबित स्वत्वों के निराकरण के लिए रिट पिटिशन और अवमानना याचिका हाई कोर्ट में दायर किए जाने की स्थिति निर्मित हुई। पुलिस द्वारा संचालित परिवार परामर्श केंद्र तथा महिला हेल्पलाइन को ऐसी स्थिति में अब तत्काल बंद करने की आवश्यकता है।
लंबे समय से चल रहे थे परिवार परामर्श केंद्र
घरेलू विवादों के चलते बेवजह की मुकदमेबाजी से परिवारों को बचाने, उन्हें परामर्श और समझाइश के जरिए विवादों को निराकृत करने के उद्देश्य को लेकर यह योजना लंबे समय से संचालित हो रही थी। व्यापक पैमाने पर पति-पत्नी और ससुराल व मायके पक्ष के झगडे इन परिवार परामर्श केंद्रों के माध्यम से यहां मानसेवी सेवा देने वाले परामर्शकर्ताओं के द्वारा निपटाए जाते रहे हैं। शासन के इस आदेश के बाद अब परिवार परामर्श केंद्र तथा महिला डेस्क को निश्चित तौर पर बंद कर दिया जाएगा। परिवार परामर्श केंद्र तथा महिला डेस्क पुलिस की सामान्य कार्य प्रणाली में भी काफी मददगार साबित होते थे। पुलिस को ज्यादातर मामलों में जांच और विवेचना से मुक्ति रहती थी। अब इस तरह के सारे मामले सीधे पुलिस थानों में ही पहुंचेंगे।